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कोरोना के बाद अब ब्रेन-ईटिंग अमीबा का डर! दक्षिण कोरिया में एक शख्स की मौत, जानें इसके बारे में

By विनीत कुमार | Updated: December 30, 2022 11:04 IST

दक्षिण कोरिया में ब्रेन-ईटिंग अमीबा से संक्रमण का पहला मामला सामने आया है। शख्स की मौत भी इस संक्रमण की वजह से हो गई। क्या होता है ये और इस बीमारी में कैसे लक्षण नजर आते हैं, जानिए सबकुछ।

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सियोल: दुनिया अभी कोरोना महामारी से जूझ ही रही है कि दक्षिण कोरिया में ब्रेन-ईटिंग अमीबा से एक शख्स की मौत की खबर सामने आई है। थाईलैंड से लौटे दक्षिण कोरिया के 50 शख्स की ब्रेन-ईटिंग अमीबा से संक्रमित होने के बाद मौत हो गई है। इसे एक घातक संक्रमण माना जाता है। 

दक्षिण अफ्रीका में ब्रेन-ईटिंग अमीबा का पहला केस

थाईलैंड से लौटने के बाद उसी शाम शख्स में सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बोलने में कठिनाई और गर्दन में अकड़न जैसे लक्षण दिखाई देने लगे थे। इसके बाद अगले दिन उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। 

इस संक्रमण को नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) या आमतौर पर 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' कहा जाता है। दक्षिण कोरिया में इस तरह का पहला मामला सामने आया है। 

ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्या होता है?

अमीबा दरअसल एक एककोशिकीय (unicellular) सूक्ष्म जीव है। चूँकि इसका कोई सेल वॉल नहीं है, इसलिए यह हमारे वातावरण में स्वतंत्र रूप से घूमता रहता है। नेगलेरिया फाउलेरी या जिसे आम बोलचाल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा कहते हैं, वह नेगलेरिया प्रजाति का एक हिस्सा है और खतरनाक है।

नेगलेरिया फाउलेरी या ब्रेन-ईटिंग अमीबा आमतौर पर लोगों को तब संक्रमित करता है जब लोग गंदे पूल / या नदी में डुबकी लगाते हैं। अमीबा युक्त पानी नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और इस तरह ये संक्रमण फैलता है। यहां गौर करने वाली बात है कि यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे तौर पर नहीं फैल सकता है।

शरीर में जाकर ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्या करता है

ब्रेन-ईटिंग अमीबा नाक के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचने के बाद वहां संक्रमण फैलाना शुरू करता है। इसे अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (पीएएम) कहा जाता है। मस्तिष्क के ऊतकों या कहें कि टिशू को नष्ट कर देता है। पीएएम के पहले लक्षण आमतौर पर संक्रमण के लगभग 5 दिन बाद नजर आने शुरू होते हैं। हालांकि, वे एक से 12 दिनों के भीतर भी शुरू हो सकते हैं। 

इस संक्रमण के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, बेचैनी, या उल्टी आदि शामिल हैं। बाद के लक्षणों में गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे पड़ना, मतिभ्रम और कोमा तक शामिल हैं। इन लक्षणों के शुरू होने के बाद बीमारी तेजी से बढ़ती है और  लगभग 5 दिन में मौत तक हो सकती है। कुछ जानकार एक से 18 दिनों में भी मौत की आशंका बताते हैं।

पीएएम संक्रमण चूकी इतना दुर्लभ है, और इतनी तेजी से शरीर में बढ़ता है कि किसी भी रोगी या कई बार डॉक्टरों को सोचने-समझने का समय ही नहीं मिलता और मृत्यु हो जाती है। ऐसे में इसके तेजी से प्रभावी उपचार पर भी काम अभी किया जाना बाकी है।

अभी कैसे होता है ब्रेन-ईटिंग अमीबा संक्रमण का इलाज

इस बीमारी के लिए वर्तमान में कोई सटीक टीका या दवा नहीं है। हालांकि इसका इलाज कुछ दवाओं जिसमें एंटिबायोटिक एंटिफंगल और एंटि-पैरासिटिक एजेंट रहते हैं, उससे किया जाता है। एम्फोटेरिसिन बी, एजिथ्रोमाइसिन, फ्लुकोनाजोल, रिफैम्पिन, मिल्टेफोसिन और डेक्सामेथासोन जैसी दवाओं के जरिए अभी के दौरे में इसका इलाज किया जा रहा है। इन दवाओं के संयोजन से कई रोगी ठीक भी हुए हैं पर कोई एक दवा अभी उपलब्ध नहीं है।

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