हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट, अंतिम क्षणों में श्रीदेवी को महसूस हुए होंगे ये लक्षण
By उस्मान | Published: February 26, 2018 11:29 AM2018-02-26T11:29:16+5:302018-02-26T17:11:27+5:30
अधिकतर लोग कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच अंतर नहीं जानते हैं।
बॉलीवुड अभिनेत्री श्रीदेवी का शनिवार को देर रात दुबई में निधन हो गया। वो महज 54 साल की थी। ऐसा माना जा रहा है कि उनका निधन कार्डियक अरेस्ट से हुआ है। हालांकि इस बात की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगी। अधिकतर लोग कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच का अंतर नहीं जानते हैं। दिल्ली स्थित मूलचंद हॉस्पिटल में हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर के के अग्रवाल के आपको इन दोनों कंडीशन के बीच अंतर बता रहे हैं।
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कार्डियक अरेस्ट क्या है?
कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच अंतर है। आपको बता दें कि कार्डिएक अरेस्ट हार्ट अटैक से ज्यादा खतरनाक होता है। यह एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिसका सही समय पर इलाज नहीं कराने से असामयिक मौत हो सकती है। हार्ट अटैक में धमनियों के ब्लॉक होने से दिल को पर्याप्त मात्रा में खून नहीं मिल पाता है। जबकि कार्डियक अरेस्ट में इलेक्ट्रिक इनबैलेंस की वजह से दिल धड़कना बंद कर देता है। दिल का सही तरह से काम ना करना अनियमित दिल की धड़कन का कारण बन सकता है, जिसमें व्यक्ति भावशून्य हो जाता है। इसमें व्यक्ति सांस नहीं ले पाता है और हांफने लगता है। इस स्थिति में आप इमरजेंसी कॉल कर सकते हैं या सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससाइटेशन) यानि मुंह से सांस देना या छाती को थपथपाना शुरू कर सकते हैं।
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
आमतौर पर कार्डियक अरेस्ट के चेतावनी या लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि इसके तीन मुख्य संकेत होते हैं, जिनके पहचानकर आप व्यक्ति की मदद कर सकते हैं।
1) व्यक्ति अचानक होश खो बैठता है। यही कारण है कि पीड़ित व्यक्ति अचानक गिर पड़ता है। इसके कंधों को थपथपाने पर भी मरीज कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है।
2) व्यक्ति नॉर्मल तरीके से सांस नहीं ले पाता है और दिल अचानक तेजी से धड़कना शुरू कर देता है।
3) पल्स और ब्लड प्रेशर थम जाते हैं और शरीर व दिमाग के अन्य हिस्सों में खून की आपूर्ति नहीं हो पाती है।
कार्डिक अरेस्ट से पीड़ित की ऐसे करें मदद
ऐसी स्थिति में तुरंत आपातकालीन नंबर पर फोन करें या फिर सीपीआर शुरू करें। अगर सीपीआर को सही तरीके से किया जाए, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। इस तकनीक से मेडिकल हेल्प नहीं मिलने तक बॉडी में ब्लड और ऑक्सीजन संचारित होता रहता है। इसके अलावा अगर आपके पास एम्ब्यूलेटरी एक्सटर्नल डीफाइब्रलेटर डिवाइस है, तो आपके पास रोगी की जान बचाने का सबसे अच्छा मौका है।