किडनी के मरीजों के लिए खुशखबरी! हर जगह मिलने वाले इस पौधे से हो सकता है किडनी रोगों का इलाज

By उस्मान | Published: November 9, 2019 11:53 AM2019-11-09T11:53:03+5:302019-11-09T11:53:03+5:30

विशेषज्ञों ने दावा किया कि एलोपैथी में गुर्दे के इलाज के लिए सीमित विकल्प उपलब्ध होने की वजह से, ये दवाएं बीमारी को फैलने की गति को धीमा करेंगी

Boerhavia diffusa or Punarnava herbs you can use as a medicine to treat kidney disease | किडनी के मरीजों के लिए खुशखबरी! हर जगह मिलने वाले इस पौधे से हो सकता है किडनी रोगों का इलाज

किडनी के मरीजों के लिए खुशखबरी! हर जगह मिलने वाले इस पौधे से हो सकता है किडनी रोगों का इलाज

आयुर्वेद में इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि कुछ जड़ी-बूटियों में लंबे समय से चली आ रही गुर्दे (किडनी) की बीमारियों को बढ़ने से रोकने के जरूरी औषधीय गुण होते हैं। 

भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में औषधियों की पारंपरिक पद्धतियों जैसे यूनानी, आयुर्वेद, योग और पंचकर्म से जुड़े विशेषज्ञों ने इस बात पर चर्चा की कि जड़ी-बूटियां कैसे किडनी की बीमारी रोकने और उसके इलाज में प्रभावी हो सकती हैं। 

उन्होंने दावा किया कि एलोपैथी में गुर्दे के इलाज के लिए सीमित विकल्प उपलब्ध होने की वजह से, ये दवाएं बीमारी को फैलने की गति को धीमा करेंगी और सावधानीपूर्वक लिए गए आहार एवं कसरत के साथ इसके लक्षणों से राहत भी दिलाएंगी। 

एआईएमआईएल फार्मा के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद में इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि कुछ भारतीय जड़ी-बूटियों में किडनी की स्थायी बीमारियों को फैलने से रोकने के औषधीय गुण होते हैं। 

सत्र में बतौर वक्ता शामिल शर्मा ने वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित सिरप (नीरी केएफटी) के बारे में विस्तार से बताया जो पुनर्नवा जैसे औषधीय पौधों से बना है। इस पौधे के विभिन्न लाभ सर्वज्ञात हैं जिनमें पेशाब की बारंबारता को बढ़ाना, सूजन को रोकना, एंटी ऑक्सिडेंट और दिल पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाले प्रभाव शामिल हैं। 

पुनर्नवा से बनी दवाई की प्रभावशीलता को हाल में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में किए गए अध्ययन में प्रमाणित किया गया था। यह 2017 में वर्ल्ड जर्नल ऑफ फार्मेसी और फार्मास्यूटिकल्स साइंस में भी प्रकाशित हो चुका है। 

हाल ही में 'विश्व किडनी दिवस' के मौके पर पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि सावधानी से भोजन करने और व्यायाम के साथ जड़ी बूटी का सेवन बीमारी के बढ़ने की गति को धीमी कर सकती है और बीमारी के लक्षणों से निजात दिला सकती है।

साल 2017 में वर्ल्ड जर्नल ऑफ फार्मेसी एंड फार्मास्युटिकल्स साइंस प्रकाशित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एक अध्ययन के अनुसार, पुनर्नवा जैसे पारंपरिक औषधीय पौधे पर आधारित औषधि का फार्मूलेशन किडनी की बीमारी में रोकथाम में कारगर हो सकता है और बीमारी से राहत दिला सकता है।

बीएचयू के द्रव्यगुण विभाग के प्रमुख के एन द्विवेदी ने कहा कि नीरी केएफटी (सीरप) में औषधीय फार्मूलेशन कुछ हद तक डायलिसिस का विकल्प हो सकता है। 

इसके अलावा इंडो अमेरिकन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी कमल के पत्ते, पत्थरचूर और अन्य जड़ी बूटियों सहित पुनर्नवा से बनायी गयी औषधि के प्रभाव का जिक्र किया है।

इधर दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट मनीष मलिक ने कहा कि एलोपैथी में किडनी की बीमारी के उपचार के लिए सीमित संभावना है। उपचार महंगा भी है और पूरी तरह सफल भी नहीं होता। इसलिए, मलिक का कहना है कि पुनर्नवा जैसी जड़ी बूटी पर आधारित नीरी केएफटी की तरह की किफायती आयुर्वेदिक दवा नियमित डायलिसिस करा रहे मरीजों के लिए मददगार हो सकती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 850 मिलियन से अधिक लोग गुर्दे की बीमारियों से पीड़ित हैं। क्रोनिक किडनी रोग हर साल 2.4 मिलियन लोगों की मौत होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि पुराने गुर्दे की बीमारियों के पीड़ित भारतीयों की संख्या पिछले 15 वर्षों में दोगुनी हो गई है और वर्तमान में हर सौ में से 17 लोग गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं।  

Web Title: Boerhavia diffusa or Punarnava herbs you can use as a medicine to treat kidney disease

स्वास्थ्य से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे