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Ayurvedic Treatment Of thyroid: क्या आयुर्वेद में थायराइड को ठीक करने के लिए कोई कारगर दवा है, जानिए यहां

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 6, 2024 07:07 IST

थायराइड के उपचार में आमतौर पर हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए दवाएं दी जाती है लेकिन बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि क्या आयुर्वेद में थायराइड विकार को ठीक करने के लिए कोई कारगर दवा है।

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ठळक मुद्देथायराइड के उपचार में आमतौर पर हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए दवाएं दी जाती हैथायराइड हार्मोन के अधिकता या कमी से मनुष्य के कई अंग प्रभावित होते हैंथायराइड के कारण थकान, निद्रा विकार, वजन में बदलाव, मानसिक विकार जैसी कई समस्याएं होती हैं

Ayurvedic Treatment Of thyroid:  थायराइड विकार थायराइड हार्मोन के अधिक या कम उत्पादन से होता है। थायराइड के उपचार में आमतौर पर हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए दवाएं दी जाती है लेकिन बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि क्या आयुर्वेद में थायराइड विकार को ठीक करने के लिए कोई कारगर दवा है। तो आज हम आपको थायराइड के उपचार में आयुर्वेद के योगदान के बारे में बता रहे हैं।

आयुर्वेदिक चिकित्सा दुनिया की सबसे पुरानी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। इसमें मन, आत्मा और शरीर को संतुलन में रखकर बीमारी को रोकने या खत्म करने का प्रयास किया जाता है। आयुर्वेद मानता है कि मानव शरीर समेत सारा ब्रह्मांड पांच तत्वों से बना है। जिसे अग्नि, वायु, जल, आकाश और पृथ्वी कहते हैं।

भारत में हर 10 में से एक व्यक्ति थायराइड की समस्या से जूझ रहा है। 2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में क़रीब 4.2 करोड़ थायराइड के मरीज़ हैं।  लगभग एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि वे इस रोग से पीड़ित हैं। यह बीमारी आमतौर पर महिलाओं में ज़्यादा पाई जाती है।

क्यों होती है थायराइड की समस्या

थायराइड की समस्या थायराइड ग्रंथियों में आने वाली खराबी के कारण होती है। श्वासनली के सामने और लारनेक्स के ठीक नीचे स्थित थायराइड ग्रंथि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के हार्मोन स्रावित होते हैं। जिन्हें ट्राइडोथायरोनिन टी3, टेट्राइडोथायरोक्सिन टी4 और कैल्सीटोनिन कहा जाता है।

थायराइड हार्मोन के अधिकता या कमी से मनुष्य के कई अंग प्रभावित होते हैं। जिसके कारण शिशुओं में मस्तिष्क और दैहिक विकास रूकता है और वयस्कों में लगभग सभी चयापचय की समस्या पैदा होती है।

थायराइड के कारण थकान और नींद संबंधी विकारों, वजन में बदलाव, मानसिक विकार, आंत्र समस्याओं, मांसपेशियों और जोड़ों की समस्याओं, अनियमित मासिक धर्म, बांझपन और कामेच्छा की समस्या, त्वचा में बदलाव, शरीर में बदलाव के साथ कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। असामान्य हृदय गति, गर्दन का बढ़ना और मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी दोषपूर्ण थायराइड से जुड़ी हो सकती हैं।

क्यों होता है थायराइड

आयुर्वेद कहता है कि अधिक तनावपूर्ण जीवन जीने से मनुष्य के थायराइड हार्मोन की सक्रियता पर असर पड़ता है। इसके अलावा दैनिक आहार में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से थायराइड ग्रंथियां विशेष रूप से सक्रिय हो जाती हैं। कभी-कभी मनुष्य में थायराइड अनुवांशिक भी हो सकता है।

यदि परिवार के दूसरे सदस्यों को भी यह समस्या रही हो तो परिवार के दूसरे सदस्यों को भी हो सकती है। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान थायराइड हार्मोन्स में असंतुलन देखा जाता है क्योंकि उस दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल करने के कारण भी थायराइड की समस्या हो सकती है।

थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार

मुलेठी से थायराइड का इलाज

मुलेठी के सेवन से थायराइड में लाभ मिलता है। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख घटक ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड थायरॉइड कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है।

श्वगंधा से थायराइड का इलाज

अश्वगंधा चूर्ण थायराइड में काफी प्रभावी होता है। थायराइड रोगियों को रात को सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गुनगुने दूध के साथ लेने से राहत मिलती है। इसके अलावा अश्वगंधा की पत्तियों या जड़ को भी पानी में उबालकर पी सकते हैं। अश्वगंधा हार्मोन्स को संतुलित करने में बेहद कारगर भूमिका निभाता है।

अलसी से थायराइड का इलाज

अलसी के चूर्ण से थायराइड के रोहियों को बहुत आराम मिलता है। दरअसल अलसी में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा -3 पाया जाता है। ओमेगा-3  थायरॉइड के कार्य को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए थायरॉइड के रोगियों को नियमित रूप से अलसी का उपयोग करना चाहिए।

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