दिमागी बीमारी ऑटिज्म से जुड़ा विधेयक राज्यसभा में पारित, जानिए किसे और क्यों होता है ये रोग

By भाषा | Published: December 12, 2018 04:18 PM2018-12-12T16:18:20+5:302018-12-12T16:18:20+5:30

इसका मूल विधेयक 1999 में लाया गया था। इससे पहले जुलाई में मानसून सत्र के दौरान यह विधेयक उच्च सदन में पेश किया गया था। लेकिन इस पर चर्चा नहीं हो सकी। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इसे व्यापक चर्चा के लिए प्रवर या स्थायी समिति में भेजे जाने की मांग की थी। नारेबाजी के बीच इस विधेयक को सदन में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। 

autism related bill pass in parliament, causes and symptoms of autism | दिमागी बीमारी ऑटिज्म से जुड़ा विधेयक राज्यसभा में पारित, जानिए किसे और क्यों होता है ये रोग

फोटो- पिक्साबे

ऑटिज्म पीड़ित दिव्यांगों के लिये राष्ट्रीय न्यास के गठन में नियमों की बाधाओं को दूर करने से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधेयक को राज्यसभा में हंगामे के बीच पारित कर दिया गया। दो बार के स्थगन के बाद सदन की बैठक शुरु होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचन्द गहलोत से राष्ट्रीय स्वपरायणता (आटिज्म) प्रमस्तिष्क घात (सेरिब्रल पेलिसी), मानसिक मंदता (मेंटल रिटार्डेशन) और बहु-निशक्तताग्रस्त (मल्टीप्ल डिसेबिल्टीज) कल्याण न्यास (संशोधन) विधेयक चर्चा के लिए पेश करने को कहा। 

इस दौरान अन्नाद्रमुक और कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने अपने अपने मुद्दों को लेकर सदन में हंगामा शुरु कर दिया। सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों द्वारा नारेबाजी बंद नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा कि सदस्यों को दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुये चर्चा में हिस्सा लेना चाहिये। 

गहलोत ने विधेयक को चर्चा के लिये पेश करते हुये कहा कि नियमों की जटिलता के कारण 2014 से ही राष्ट्रीय न्यास के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पा रही थी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में नियुक्ति की प्रक्रिया और नियमों को आसान बनाने के उपाय किये गये हैं। 

हंगामे के बीच ही चर्चा में हिस्सा लेते हुये तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन और माकपा के इलामारम करीम ने कहा कि न्यास के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल संबंधी नियमों को सरल करते हुये नियुक्ति प्रक्रिया को सुचारू बनाना चाहिये जिससे न्यास का कार्य निर्बाध रूप से चलता रहे। 

उल्लेखनीय है कि इसका मूल विधेयक 1999 में लाया गया था। इससे पहले जुलाई में मानसून सत्र के दौरान यह विधेयक उच्च सदन में पेश किया गया था। लेकिन इस पर चर्चा नहीं हो सकी। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इसे व्यापक चर्चा के लिए प्रवर या स्थायी समिति में भेजे जाने की मांग की थी। नारेबाजी के बीच इस विधेयक को सदन में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। 

Web Title: autism related bill pass in parliament, causes and symptoms of autism

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