दिल्ली में दिखा वायु प्रदूषण का असर, 50 फीसदी से अधिक बच्चों को छाती से जुड़ी दिक्कत
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 8, 2021 08:46 AM2021-11-08T08:46:44+5:302021-11-08T08:46:44+5:30
'लंग केयर फाउण्डेशन' के द्वारा कराए गए अध्ययन से यह पता चलता है कि 50 फीसदी से अधिक बच्चों को छाती से जुड़ी तकलीफ, 29 प्रतिशत बच्चों को अस्थमा (जो अस्थमा के 200 प्रतिशत अधिक मामले हैं ) की तकलीफ देखने को मिल रही है।
देश की राजधानी दिल्ली में दिवाली के बाद बढ़े वायु प्रदूषण का असर दिखने लगा है। भले ही सरकार ने वायु प्रदूषण को रोकने की कोशिश की हो, लेकिन सरकार के ये प्रयास बहुत ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए हैं। प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस से जुड़ी समस्याएं होने लगी हैं। बच्चों की सेहत पर वायु प्रदूषण का असर सबसे ज्यादा दिखाई पड़ रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक 50 फीसदी से अधिक बच्चों को सीने से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल में इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन डॉक्टर अरविंद कुमार ने वायु प्रदूषण को बच्चों के लिए बेहद गंभीर बताया है। उन्होंने बच्चों पर एयर पॉल्यूशन से होने वाले नुकसान को अपूर्णनीय क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि जनवरी तक दिल्ली की आबोहवा में स्मोग लगातार बना रहेगा।
उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि 'लंग केयर फाउण्डेशन' के द्वारा कराए गए अध्ययन से यह पता चलता है कि 50 फीसदी से अधिक बच्चों को छाती से जुड़ी तकलीफ, 29 प्रतिशत बच्चों को अस्थमा एवं 40 फीसदी बच्चों में मोटापा की समस्या देखने को मिल रही है।
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण अधिकतर बच्चों को सीने से जुड़ी और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। वायु प्रदूषण उनके स्वास्थ्य को बहुत अधिक प्रभावित कर रहा है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि प्रदूषण से बच्चों के सीने के अलावा, फेफेड़, हृदय, दिमाग के साथ-साथ अन्य प्रकार के अंग भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि स्मॉग टॉबर को लगाना जनता के पैसे की बर्वादी है।
उन्होंने कहा कि कोविड से ज्यादा वायु प्रदूषण से लोगों की मौत हुई हैं, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इसे रोकने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे। आपको बता दें कि दिवाली के बाद से दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए इसे वायु गुणवत्ता सूची में गंभीर श्रेणी में रखा गया है।