अच्छा! तो केक काटने से पहले इसलिए जलाते हैं मोमबत्तियां
By मेघना वर्मा | Published: December 14, 2017 02:46 PM2017-12-14T14:46:32+5:302017-12-14T15:10:19+5:30
केक हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। आपने कभी सोचा है कि केक हमारी जिंदगी में कब और कहाँ से आया?
बर्डे हो या एनिवर्सिरी या कोई सक्सेस पार्टी केक हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। क्या आपने कभी सोचा है कि केक हमारी जिंदगी में कब और कहाँ से आया? माना जाता है कि केक जैसी डिश का जन्म ग्रीक (यूनान) में हुआ था। ग्रीक लोग साधारण ब्रेड पर शहद और सूखे मेवों लगाकर एक खास व्यंजन बनाते थे।
ग्रीक उस मीठे व्यंजन को प्लेकस कहते थे। प्राचीन ग्रीक में इसे अंडे, दूध, नट्स और शहद के साथ मिक्स आटे का उपयोग करके पकाया जाता था। केक की बात हो और कैंडल की बात न हो ऐसा भी भला कहीं होता है। केक और कैंडल का रिश्ता भी ग्रीस में ही शुरू हुआ था। आइए आपको बताते हैं कि केक और कैंडल का रिश्ता कैसे बना। हम आपको ये भी बताएंगे कि भारत में पहला केक कब बना और किसने बनाया?
केक-कैंडल के रिश्ते की कहानी- प्राचीन ग्रीक में आम लोग अपनी छोटी-छोटी खुशियों को मनाने के प्लेकस बनाते थे। मिठास के साथ चमक न हो तो वो थोड़ी फीकी नहीं लगेगी? यूनानी चाँद को बहुत अहमियत देते थे। माना जाता है कि केक पर कैंडल लगाकर यूनानी केक को चाँद की तरह खूबसूरत बनाते थे। वजह चाहे जो हो यूनानियों ने ही खास मौकों केक पर मोमबत्ती लगाकर जलाने और फिर बुझाने की शुरुआत की। अब केक काटते हुए याद रखिएगा कि आप दो हजार साल से ज्यादा पुरानी परंपरा निभा रहे हैं।
गरीबों के लिए केक-
माना जाता है कि यूनान का प्लेकस ही केक बनकर यूरोप समेत और बाकी दुनिया में पहुँचा। इसे लोकप्रिय बनाने में मानवीय इतिहास की एक बड़ी आपदा का भी हाथ माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय रिसर्च वेबसाइट "मेन्टल फ्लॉस" के अनुसार इंग्लैण्ड में केक को पहले मीठी रोटी को कहा जाता था। ये मीठी रोटी यूनानी प्लेकस का ही एक रूप था। 1930 के दशक में ब्रिटेन में आई महामंदी के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के गरीबों को खाने के लिए मीठी रोटी दी जाती थी। वक्त के साथ गरीबों के लिए बनाई गई इस मीठी रोटी का ही रूप बदलता रहा। इसे और स्वादिष्ट और सुंदर बनाने की तमाम कोशिशों की वजह से हमें आज का केक मिला।
भारत में कब आया केक? - माना जाता है कि भारत में पहली बार केक केरल में बना था। सन् 1883 में मालाबार में रॉयल बिस्किट फैक्ट्री खुली थी। इसे भारत की पहली बेकरी माना जाता है। बेकरी के वर्तमान मालिक का दावा है कि भारत का पहला केक यहीं बना था। बेकरी के प्रेसिडेंट पीएम शंकरन ने 2012 में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि देश का सबसे पहला केक माम्बल्ली बापू ने बनाया था। माम्बल्ली बापू ने ही रॉयल बिस्किट फैक्ट्री की स्थापना की थी। इसी केक के साथ भारत में केक का सफर शुरू हो गया जो आज लगभग खुशी के हर मौके पर हमारे बीच मौजूद होता है। आप भी मानेंगे कि हजार सालों में हजारों किलोमीटर दूर से चलकर हमारे घरों तक पहुंचा केक भारतीय नागरिक बन चुका है।
आज के समय में केक को काटने की ये परम्परा इतनी पुरानी सी हो गयी है की लगता है हमारी अपनी ही परंपरा है। लेकिन केक का ये मीठा स्वाद वास्तविकता में पश्चिमी देशों से ही निकल कर आया है।