लाइव न्यूज़ :

कॉफी का सफर:बाग से कॉफी कैफे तक की कहानी  

By मेघना वर्मा | Updated: December 14, 2017 18:26 IST

सब जानते है की भारत में कॉफी अंग्रेजों के साथ आई। लेकिन यहां आकर इसका रंग रूप सब बदलने लगा। अलग-अलग राज्य में कॅाफी का इस्तेमाल और कॅाफी बनाने के तरीके अलग होने लगे।

Open in App
ठळक मुद्दे बीज से आपके कप तक कॉफी का ये सफर बहुत दिलचस्ब है।  मान्यता है की अफ्रीका के रहने वाले आदिवासियों के बीच से यह कहवा निकल कर आया और आज पूरी दुनिया में इसका स्वाद चखा जा सकता है।

दिन की शुरुआत से ऑफिस के नाईट शिफ्ट तक जो दिल के सबसे करीब होती है वो है कॉफी। दोस्तों के साथ पार्टी हो या ऑफिस की सीरियस मीटिंग, सिनेमा हॉल में हुआ इंटरमिशन हो या घर पर फुर्सत के पल। आपकी हर ऐक्टिवीटीज में आपका साथ देती है कॉफी। बीज से आपके कप तक कॉफी का ये सफर बहुत दिलचस्ब है।  

सब जानते है की भारत में कॉफी अंग्रेजों के साथ आई। लेकिन यहां आकर इसका रंग रूप सब बदलने लगा। अलग-अलग राज्य में कॅाफी का इस्तेमाल और कॅाफी बनाने के तरीके अलग होने लगे। मान्यता है की अफ्रीका के रहने वाले आदिवासियों के बीच से यह कहवा निकल कर आया और आज पूरी दुनिया में इसका स्वाद चखा जा सकता है। शुरुआती समय में इसे जर्मनी के रईसों का पेय कहा जाता था। ईस्ट इंडिया कम्पनी के भारत आने के बाद कॅाफी का सफर भी भारत में शुरू हो  गया।

कर्नाटक में हुआ है कॉफी का जन्म भारत में कॉफी का जन्मस्थल कर्नाटक को कहा जाता है। क्यूंकि सबसे पहले कॉफी का उत्पादन यहीं शुरु हुआ। दक्षिण राज्यों के पहाड़ों पर सबसे ज्यादा कॉफी उगाई जाती है। कर्नाटक राज्य में सबसे अधिक 53 प्रतिशत कॉफी उगाई जाती है। 

भारत की कॉफी दुनिया भर में है प्रसिद्ध

देश भर में भारतीयों का दबदबा बरकरार है। कॉफी के मामले में भी भारतीय पीछे नहीं हैं। देश की कुछ चुनिंदा कॉफी में से भारत में उगाई कॉफी शामिल है। इसका कारण यह है की भारत में कॉफी को छावं में उगाया जाता है। काली मिर्च की बेल को चारों तरफ से उगा कर इसे धूप से बचाया जाता है। 

सही बीज का चुनाव करती हैं महिलाएं 

वैज्ञानिक और तकनीक चाहे जितनी विकसित हो जाए लेकिन इंसानों की जगह नहीं ले सकता। यही कारण है की कॉफी के बागानों में आज भी सबसे ज्यादा महिलाएं नजर आती हैं। कॉफी के पेड़ पर उगने वाले लाल फल को चुनना हो या उनमें से निकलने वाली सही रंग और गंध वाली कॅाफी। इन सभी को करने का जिम्मा ज्यादातर महिलाओं को सौंपा जाता है। 

फैक्ट्री में फिर से होती हैं जांच

कॉफी के बागन से निकलने के बाद एक बार फिर से जांच की जाती है। जिसमें सही सुगंध के साथ और भी बहुत से परिक्षणों से होकर निकलना पड़ता है। इसके बाद कई मशीनों से होती हुआ कॉफी आपके रसोई और ऑफिस तक आ जाती है।  

भारत में उगती है 15 तरह की कॉफी

कर्नाटक के बाद केरल, तमिलनाडू के अलावा अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और असम में भी कॉफी का उत्पादन होता है। अलग-अलग जगह की मिट्टी और जलवायु का असर इसके स्वाद पर भी पड़ता है। यही कारण है की भारत में 15 तरह की कॉफी का स्वाद चखने को मिलता है। 

टॅग्स :हिस्ट्री ऑफ कॅाफीकॅाफी
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यFRPT: क्या आप सुबह की कॉफी का भुगतान करने के लिए अपने चेहरे का इस्तेमाल करना चाहेंगे?, जानें क्या है प्रौद्योगिकी और कैसे करेगा काम

ज़रा हटकेViral Video: मुंबई के एक कैफे में कस्टमर को सर्व की गई 'कॉकरोच कॉफी', मामला पहुंचा थाने

स्वास्थ्यगलत समय पर कॉफी का सेवन करने से सेहत पर पड़ सकता है बुरा असर, जानिए क्या है इसे पीने का सही समय

स्वास्थ्यBenefits of drinking coffee at night: रात में कॉफी पीने के फायदे, शरीर में होंगे ये बदलाव, जानें

स्वास्थ्यलिवर की बीमारियों को ठीक करने में मदद करती है कॉफी, जानें कब और कैसे करना चाहिए इसका सेवन

खाऊ गली अधिक खबरें

खाऊ गलीChaitra Navratri 2023: नवरात्रि में नौ दिनों तक व्रत रखने के साथ ऐसे रहे हेल्दी, पूरे दिन ऊर्जावान रहने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके

खाऊ गलीबनारस में आ गई विश्व प्रसिद्ध 'मलइयो' की बहार, एक बार चख लेंगे तो भूल नहीं पाएंगे इसका स्वाद

खाऊ गलीनवरात्र: कई खूबियों वाले कनोला ऑयल के फायदे जानते हैं आप ?

खाऊ गलीसावन फलहारी रेसेपी: सावन के व्रत में खाएं, चटपटी मखाना भेल, स्वाद के साथ मिलेगा पोषण-चटपट ऐसे केरं तैयार

खाऊ गलीFood Gully: चखिए प्रीत विहार के मशहूर आलू टिक्की चाट का जायका, देखिए ये खास एपिसोड