कॉफी का सफर:बाग से कॉफी कैफे तक की कहानी
By मेघना वर्मा | Published: December 14, 2017 03:27 PM2017-12-14T15:27:31+5:302017-12-14T18:26:56+5:30
सब जानते है की भारत में कॉफी अंग्रेजों के साथ आई। लेकिन यहां आकर इसका रंग रूप सब बदलने लगा। अलग-अलग राज्य में कॅाफी का इस्तेमाल और कॅाफी बनाने के तरीके अलग होने लगे।
दिन की शुरुआत से ऑफिस के नाईट शिफ्ट तक जो दिल के सबसे करीब होती है वो है कॉफी। दोस्तों के साथ पार्टी हो या ऑफिस की सीरियस मीटिंग, सिनेमा हॉल में हुआ इंटरमिशन हो या घर पर फुर्सत के पल। आपकी हर ऐक्टिवीटीज में आपका साथ देती है कॉफी। बीज से आपके कप तक कॉफी का ये सफर बहुत दिलचस्ब है।
सब जानते है की भारत में कॉफी अंग्रेजों के साथ आई। लेकिन यहां आकर इसका रंग रूप सब बदलने लगा। अलग-अलग राज्य में कॅाफी का इस्तेमाल और कॅाफी बनाने के तरीके अलग होने लगे। मान्यता है की अफ्रीका के रहने वाले आदिवासियों के बीच से यह कहवा निकल कर आया और आज पूरी दुनिया में इसका स्वाद चखा जा सकता है। शुरुआती समय में इसे जर्मनी के रईसों का पेय कहा जाता था। ईस्ट इंडिया कम्पनी के भारत आने के बाद कॅाफी का सफर भी भारत में शुरू हो गया।
कर्नाटक में हुआ है कॉफी का जन्म
भारत में कॉफी का जन्मस्थल कर्नाटक को कहा जाता है। क्यूंकि सबसे पहले कॉफी का उत्पादन यहीं शुरु हुआ। दक्षिण राज्यों के पहाड़ों पर सबसे ज्यादा कॉफी उगाई जाती है। कर्नाटक राज्य में सबसे अधिक 53 प्रतिशत कॉफी उगाई जाती है।
भारत की कॉफी दुनिया भर में है प्रसिद्ध
देश भर में भारतीयों का दबदबा बरकरार है। कॉफी के मामले में भी भारतीय पीछे नहीं हैं। देश की कुछ चुनिंदा कॉफी में से भारत में उगाई कॉफी शामिल है। इसका कारण यह है की भारत में कॉफी को छावं में उगाया जाता है। काली मिर्च की बेल को चारों तरफ से उगा कर इसे धूप से बचाया जाता है।
सही बीज का चुनाव करती हैं महिलाएं
वैज्ञानिक और तकनीक चाहे जितनी विकसित हो जाए लेकिन इंसानों की जगह नहीं ले सकता। यही कारण है की कॉफी के बागानों में आज भी सबसे ज्यादा महिलाएं नजर आती हैं। कॉफी के पेड़ पर उगने वाले लाल फल को चुनना हो या उनमें से निकलने वाली सही रंग और गंध वाली कॅाफी। इन सभी को करने का जिम्मा ज्यादातर महिलाओं को सौंपा जाता है।
फैक्ट्री में फिर से होती हैं जांच
कॉफी के बागन से निकलने के बाद एक बार फिर से जांच की जाती है। जिसमें सही सुगंध के साथ और भी बहुत से परिक्षणों से होकर निकलना पड़ता है। इसके बाद कई मशीनों से होती हुआ कॉफी आपके रसोई और ऑफिस तक आ जाती है।