नई दिल्लीः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शु्क्रवार को कहा कि शिक्षक सही अर्थों में राष्ट्र निर्माता और छात्रों के मार्गदर्शक होते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि अपने तप और संयम के साथ एक शिक्षक छात्रों को देश की संस्कृति की समृद्ध विरासत को समझाने में मदद करते हैं।
कोविंद ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा, ‘बदलता समय पठन पाठन के नये तरीके अपनाने की बात करता है जो हमारी युवा पीढ़ी को सीखने, खोज करने और समाज के लिये प्रभावी ढंग से योगदान करने के लिये तैयार करने में मदद कर सकता है। मैं उम्मीद करता हूं कि हमें अपने प्रतिभावान शिक्षकों का मार्गदर्शन मिलता रहेगा और वे इस महान देश के भविष्य का निर्माण करेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘‘आदर्श शिक्षक छात्रों को उनके लक्ष्यों एवं उद्दश्यों को हासिल करने के लिये सतत रूप से प्रोत्साहित करते हैं। नि:संदेह शिक्षक सही अर्थों में राष्ट्र निर्माता और छात्रों के मार्गदर्शक होते हैं । यहीं कारण है कि भारतीय संस्कृति में ‘गुरु शिष्य परंपरा’ का विशेष महत्व है। ’’
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। कोविंद ने कहा, ‘मैं शिक्षक समुदाय को बधाई देता हूं और छात्रों का प्रबुद्ध समुदाय निर्मित करने के कार्य में बड़ी सफलता की शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं जो आने वाले दिनों में हमारे देश को महान गौरव की ओर ले जायेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम शिक्षक दिवस आधुनिक समय के महानतम शिक्षक और मेरे शानदार पूर्ववर्ती सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाते हैं।’
कश्मीरी शिक्षक को दिया जाएगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार
शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाले 47 शिक्षकों में कश्मीर के स्कूल की एक शिक्षिका भी शामिल हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र में स्थित गुलाब बाग इलाके के तैबल में ब्वायज मिडल स्कूल काशीपोरा में शिक्षक रूही सुल्ताना को शिक्षण में रचनात्मक तरीका अपनाने के लिए इस साल राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा गया है।
पत्र सूचना कार्यालय ने यहां यह जानकारी दी। प्रतिवर्ष शिक्षा मंत्रालय की ओर से यह पुरस्कार देशभर के शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है। इस साल कोविड-19 महामारी के चलते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद डिजिटल माध्यम से पुरस्कार प्रदान करेंगे।
चुनौतीपूर्ण समय में, जब स्कूल और शिक्षण गतिविधियां बाधित थीं, तब सुल्ताना के प्रयासों से प्राथमिक कक्षा के छात्रों का पठन-पाठन चलता रहा। उनके योगगदान को देखते हुए उनके नाम का चयन किया गया। सुल्ताना ने कम खर्च वाले पॉकेट बोर्ड, कार्ड और बच्चों के लिए अनुकूल अन्य तरीकों से अपने छात्रों को पढ़ाना चालू रखा। राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गए 47 शिक्षकों का चयन तीन चरणों की पारदर्शी प्रक्रिया से किया गया है।