पीएम मोदी ने कहा परीक्षा जिंदगी नहीं है, परीक्षा एक मुकाम है, बोले घर में बनाएं एक टेक्नॉलॉजी को नो एंट्री वाला कमरा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 20, 2020 12:50 PM2020-01-20T12:50:24+5:302020-01-20T12:50:24+5:30

सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं। कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है। ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। मैं माता-पिता से भी आग्रह करूंगा कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है।

pm narendra modi on pariksha pe charcha | पीएम मोदी ने कहा परीक्षा जिंदगी नहीं है, परीक्षा एक मुकाम है, बोले घर में बनाएं एक टेक्नॉलॉजी को नो एंट्री वाला कमरा

फोटो क्रेडिट: ट्वीटर

Highlightsपीएम मोदी ने टेक्नॉलॉजी को लेकर फ्री ऑवर नाम दिया जिसमें उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि दिनभर में एक समय निर्धारित करें जब आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे।सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं। कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है। ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। मैं माता-पिता से भी आग्रह करूंगा कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा में हिस्सा लिया और स्टूडेंट्स और उनके पैरंट्स के तनाव कम करने के टिप्स दिए। पीएम मोदी ने छात्रों संग यह चर्चा की। दिल्ली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में हुए इस चर्चा में छात्रों, उनके माता-पिता और शिक्षकों से परीक्षा के तनाव को दूर करने पर संवाद किया। इस कार्यक्रम में कुल 2,000 स्टूडेंट्स और टीचर्स हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें से 1,050 छात्रों का चयन निबंध प्रतियोगिता के जरिए किया गया है।

सिर्फ परीक्षा के अंक ही जिंदगी नहीं
पीएम मोदी ने कहा कि अगर कोई मुझे कहे कि इतने कार्यक्रमों के बीच वो कौन सा कार्यक्रम है जो आपके दिल के सबसे करीब है, तो मैं कहूंगा वो कार्यक्रम है परीक्षा पे चर्चा। युवा मन क्या सोचता है, क्या करना चाहता है, ये सब मैं भली-भांति समझ पाता हूं। पीएम मोदी ने कहा जैसे आपके माता-पिता के मन में 10वीं, 12वीं को लेकर टेंशन रहती है, तो मुझे लगा आपके माता-पिता का भी बोझ मुझे हल्का करना चाहिए। मैं भी आपके परिवार का सदस्य हूं, तो मैंने समझा कि मैं भी सामूहिक रूप से ये जिम्मेदारी निभाऊं।

-हम विफलताओं मैं भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं और किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो।

-जाने अनजाने में हम लोग उस दिशा में चल पड़े हैं जिसमें सफलता -विफलता का मुख्य बिंदु कुछ विशेष परीक्षाओं के मार्क्स बन गए हैं। उसके कारण मन भी उस बात पर रहता है कि बाकी सब बाद में करूंगा, एक बार मार्क्स ले आऊं।

-सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं। कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है। ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। मैं माता-पिता से भी आग्रह करूंगा कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है।

-पीएम मोदी ने बताया कि पैरेंट्स के लिए एक्सट्रा एक्टिविटी फैशन स्टेटस बन गया है। कभी कभी मां बाप सोच लेते हैं कि ग्लैमर ड्रिवेन एक्टिविटी कराउंगा तो गड़बड़ होता है। अब जैसे एग्जाम के लिए मां बाप बच्चों पर दबाव डालते हैं उसी तरह इस एक्टिविटी के लिए भी दबाव डालने लगते हैं।

टेक्नॉलजी पर पीएम मोदी ने क्या कहा-
पिछली शताब्दी के आखरी कालखंड और इस शताब्दी के आरंभ कालखंड में विज्ञान और तकनीक ने जीवन को बदल दिया है। इसलिए तकनीक का भय कतई अपने जीवन में आने नहीं देना चाहिए। तकनीक को हम अपना दोस्त माने, बदलती तकनीक की हम पहले से जानकारी जुटाएं, ये जरूरी है।

टेक्नॉलॉजी का भय अपने जीवन में नहीं आने देना चाहिए। ज्यादातर अनुभव ये आ रहा है कि ज्यादातर लोगों का समय टेक्नॉलॉजी लोगों चोरी कर लेती है। स्मार्टफोन से 10 मिनट अलग होकर मां-बाप, दादा-दादी के पास बैठें। हमारे भीतर वो ताकत होना चाहिए कि मैं टेक्नॉलॉजी को अपने काबू में रखूंगा। टेक्नॉलॉजी का गुलाम नहीं होना चाहिए। हर नई टेक्नॉलजी के बारे में जानना चाहिए। 

पीएम मोदी ने टेक्नॉलॉजी को लेकर फ्री ऑवर नाम दिया जिसमें उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि दिनभर में एक समय निर्धारित करें जब आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने एक टर्म टेक्नॉलजी को नो एंट्री नाम भी दिया इसमें उन्होंने कहा कि एक ऐसा कमरा होना चाहिए जिसमें टेक्नॉलजी का कोई इस्तेमाल न हो। उस कमरे में आने वाले किसी भी व्यक्ति के पास उस कमरे में रहने तक कोई भी स्मार्टफोन नहीं होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मैं टेक्नॉलजी को महत्व भी देता हूं लेकिन मेरे भीतर का इंसान रोबोट न बन जाए उसको ध्यान देता हूं।

-अरुणाचल प्रदेश के एक स्टूडेंट के सवालों का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा इस देश में अरुणाचल ऐसा प्रदेश है जहां एक दूसरे से मिलने पर जय-हिंद बोला जाता है। ये हिंदुस्तान में बहुत कम जगह होता है। वहां के लोगों ने अपनी भाषा के प्रचार के साथ हिंदी और अंग्रेजी पर भी अच्छी पकड़ बनाई है। हम सभी को नॉर्थ ईस्ट जरूर जाना चाहिए।

-अधिकार और कर्त्तव्य जब साथ साथ बोले जाते हैं, तभी सब गड़बड़ हो जाता हैं। जबकि हमारे कर्त्तव्य में ही सबके अधिकार समाहित हैं। जब मैं एक अध्यापक के रूप में अपना कर्त्तव्य निभाता हूं, तो उससे विद्यार्थियों के अधिकारों की रक्षा होती है।

-जितना ज्यादा आप बच्चे को प्रोत्साहित करोगे, उतना परिणाम ज्यादा मिलेगा और जितना दबाव डालोगे उतना ज्यादा समस्याओं को बल मिलेगा। अब ये मां-बाप और अध्यापकों को तय करना है कि उन्हें क्या चुनना है।

मिशन चंद्रयान पर बोले-
-मिशन चंद्रयान में आपका योगदान नहीं था, लेकिन आप ऐसे बैठे होंगे कि जैसे आपने ही ये किया हो। जब सफलता नहीं मिली तो आप भी डिमोटिवेट हुए। किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हैं।

-क्या हम तय कर सकते हैं कि 2022 में जब आजदी के 75 वर्ष होंगे तो मैं और मेरा परिवार जो भी खरीदेंगे वो Make In India ही खरीदेंगे। मुझे बताइये ये कर्त्तव्य होगा या नहीं, इससे देश का भला होगा और देश की economy को ताकत मिलेगी।

-मैं किसी परिजन पर कोई दवाब नहीं डालना चाहता, और न किसी बच्चे को बिगाड़ना चाहता हूं। जैसे स्टील के स्प्रिंग को ज्यादा खींचने पर वो तार बन जाता है, उसी तरह मां-बाप, अध्यापकों को भी सोचना चाहिए कि बच्चे कि क्षमता कितनी है।

-मां-बाप को मैं कहूंगा कि बच्चे बड़े हो गए हैं ये स्वीकार करें, लेकिन जब बच्चें 2-3 साल के थे और तब आपके अंदर उनको मदद करने की जो भावना थी उसे हमेशा जिंदा रखिए। बच्चों को उनकी रुचि के सही रास्ते में आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करना चाहिए।

-जितना ज्यादा आप बच्चे को प्रोत्साहित करोगे, उतना परिणाम ज्यादा मिलेगा और जितना दबाव डालोगे उतना ज्यादा समस्याओं को बल मिलेगा। अब ये मां-बाप और अध्यापकों को तय करना है कि उन्हें क्या चुनना है।

-अगर आप बोझ लेकर परीक्षा हॉल में गए हैं तो सारे प्रयोग बेकार जाते हैं। आपको आत्म विश्वास लेकर जाना है। परीक्षा को कभी जिंदगी में बोझ नहीं बनने देना है। आत्मविश्वास बहुत बड़ी चीज है। साथ ही फोकस एक्टिविटी होनी जरूरी है।

-हमने डर के कारण आगे पैर नहीं रखे, इससे बुरी कोई अवस्था नहीं हो सकती। हमारी मनोस्थिति ऐसी होनी चाहिए कि हम किसी भी हालत में डगर आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे, ये मिजाज तो हर विद्यार्थी का होना चाहिए।

-विद्यार्थी कोई कालखंड के लिए नहीं होता। हमें जीवन भर अपने भीतर के विद्यार्थी को जीवित रखना चाहिए। जिंदगी जीने का यही उत्तम मार्ग है, नया-नया सीखना, नया-नया जानना।

Web Title: pm narendra modi on pariksha pe charcha

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