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आईआईटी: पढ़ाई में कमजोर छात्रों के पास होगा इजीनियरिंग के बजाय बीएससी की डिग्री का विकल्प

By भाषा | Updated: September 28, 2019 05:33 IST

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में हुई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिषद की बैठक में शुक्रवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।

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ठळक मुद्देअब अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर नए सिरे से स्नातक शुरू करने की जरुरत नहीं होगी।केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में हुई बैठक

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान अब पढ़ाई में कमजोर अपने छात्रों को इंजीनियरिंग छोड़कर तीन साल बाद बीएससी की डिग्री लेने की अनुमति दे सकेगा। इस नए विकल्प के आने के बाद इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए आईआईटी में दाखिला लेने वाले छात्रों को अब अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर नए सिरे से स्नातक शुरू करने की जरुरत नहीं होगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस आशय की जानकारी दी।

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में हुई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिषद की बैठक में शुक्रवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पढ़ाई में कमजोर ऐसे छात्र जो अगले सेमेस्टर में प्रवेश के लिए जरूरी क्रेडिट (अंक) पाने में सफल नहीं होते उन्हें दूसरे सेमेस्टर के बाद डिग्री पाठ्यक्रम के माध्यम से इंजीनियरिंग छोड़ने का विकल्प दिया जा सकता है। बजाय संस्थान छोड़कर जाने के।

अधिकारी ने कहा, ‘‘इस संबंध में फैसला सभी आईआईटी अपने अनुसार लेंगे।’’ अभी तक आईआईटी में दाखिला लेने वाले छात्रों को बी.टेक की डिग्री पाने के लिए आठ सेमेस्टर (चार साल) की पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। अधिकारी ने बताया, ‘‘अब पढ़ाई में कमजोर छात्रों को दूसरे सेमेस्टर के बाद बीएससी डिग्री चुनने और तीन साल बाद संस्थान छोड़ने का विकल्प होगा। बशर्ते अगर वह पढ़ाई के न्यूनतम मानदंडों को पूरा करते हैं।’’

मंत्रालय की ओर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो साल में 23 संस्थानों के स्नातक और परास्नातक पाठ्क्रमों के 2,461 छात्रों ने पढ़ाई बीच में छोड़ी है। अधिकारी ने स्पष्ट किया, चूंकि ये छात्र बेहद कड़ी प्रतियोगिता के बाद आईआईटी में दाखिला ले पाते हैं। वे बहुत अच्छे छात्र होते हैं बस यहां की पढ़ाई के साथ कदम से कदम नहीं मिला पाते। इसलिए महसूस किया गया कि उनकी पूरी मेहनत बेकार करने के बजाए उन्हें एक विकल्प दिया जाए। मानव संसाधन विकास मंत्री ने जुलाई में संसद में इस मुद्दे को उठाया था। 

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