लोक सभा चुनाव से पहले विजय माल्या को भारत लाना मोदी सरकार के लिए लगभग नामुमकिन, लग सकते हैं दो साल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 6, 2019 08:17 AM2019-02-06T08:17:59+5:302019-02-06T09:36:24+5:30

भारतीय बैंकों का करीब नौ हजार करोड़ रुपये लेकर विदेश भाग चुके कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण को ब्रिटिश गृह सचिव की मंजूरी को नरेंद्र मोदी सरकार अपनी बड़ी जीत बता रही है लेकिन ब्रिटेन के कानूनी जानकारों की राय इसपर थोड़ी अलग है।

Vijay Mallya extradition will not be possible before lok sabha election 2019 it may take up to 2 years | लोक सभा चुनाव से पहले विजय माल्या को भारत लाना मोदी सरकार के लिए लगभग नामुमकिन, लग सकते हैं दो साल

विजय माल्या का दावा है कि वो भारत से भागे नहीं हैं। हालाँकि भारतीय अदालत उन्हें भगोड़ा करार दे चुकी है।

भारतीय बैंकों से हजारों करोड़ रुपए लेकर ब्रिटेन भागे कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को मंज़ूरी तो मिल चुकी है लेकिन उन्हें भारत आने में कई महीने लग जाएंगे. माल्या वर्ष 2016 से ब्रिटेन में हैं.

माल्या को तुरंत ही भारत लाना संभव नहीं है. विजय माल्या के पास इस आदेश को चुनौती देने के लिए 14 दिन का समय है. गृहमंत्री के आदेश के विरुद्ध वे पहली अपील हाईकोर्ट में कर सकते हैं.

यदि हाईकोर्ट में उनकी अपील खारिज भी हुई तो वे इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में लगभग दो साल का समय लग सकता है.

एक लीगल फर्म के संस्थापक बताते हैं, ''विजय माल्या के पास 14 दिनों का समय है जिसके भीतर वे ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के फैसल को चुनौती दे सकते हैं. यदि उनकी अपील स्वीकारी जाती है तो कोर्ट ऑफ अपील (हाईकोर्ट) में सुनवाई होगी. सुनवाई पूरी होने में करीब 5 से 6 माह लग सकते हैं.

यदि माल्या यहां भी केस हार जाते हैं तो फिर वे ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई पूरी होने में कई महीने या एक वर्ष भी लग सकता है.

विजय माल्या केस की जल्द सुनवाई मुश्किल

लीगल फर्म के संस्थापक ने बताया कि क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस (ब्रिटेन का अभियोजन पक्ष) सुप्रीम कोर्ट में जल्दी सुनवाई की अपील कर सकता है, पर ऐसी अपील के स्वीकारे जाने की संभावना बहुत ही कम है.

अभियोजन पक्ष को इसके लिए कारण बताने होते हैं कि वह तत्काल सुनवाई क्यों चाहता है. कोर्ट ऑफ अपील में निचली अदालतों के फैसले को पलट दिया जाना कोई असाधारण बात नहीं है और सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कोर्ट ऑफ अपील माल्या की अपील में कितना दम पाती है.

अरुण जेटली का दावा और विजय माल्या केस की हक़ीक़त

अरुण जेटली भले ही इसे नरेंद्र मोदी सरकार की बड़ी जीत होने का दावा कर रहे हों, लेकिन ब्रिटेन के कानून के जानकार ऐसा नहीं मानते हैं.

ब्रिटेन में स्पेशल क्राइम और प्रत्यर्पण के पूर्व प्रमुख निक वामोस जो कि अब एक लीगल फर्म चलाते हैं, का कहना है कि ब्रिटेन गृहमंत्री के पास और कोई विकल्प था ही नहीं.

वामोस कहते हैं, "जब एक बार निचले कोर्ट ने माल्या के प्रत्यर्पण का फैसला सुना दिया था तो गृहमंत्री के पास इसकी मंजूरी देने के सिवाय विकल्प नहीं था. इसलिए ब्रिटेन के गृहमंत्रालय का निर्णय कोई चौकाने वाला नहीं है.

विजय माल्या की अपील स्वीकृत होने की पूरी संभावना 

पिछले वर्ष विजय माल्या ने कहा था कि वो अपील में जाएंगे. यह पूरी संभावना है कि उनकी अपील स्वीकार हो जाएगी. क्योंकि, उनके केस की सच्चाई और कानूनी पहलू काफी पेचीदा हैं.

इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 2-3 महीने लगेंगे और इस दौरान वो बेल पर रहेंगे. केस की दोबारा सुनवाई हाईकोर्ट नहीं करेगी, वह निचली अदालत का फैसला सही था या गलत केवल यही देखेगी.

 मार्च 2016 में छोड़ चुके विजय माल्या इस बात से इनकार करते हैं कि वो भारत से भागे हैं. उनका कहना है कि बीते वर्ष जुलाई में उन्होंने तमाम बकाया राशि लौटाने की बिना शर्त पेशकश की थी.

विजय माल्या यह दलील भी दे चुके हैं कि उन्होंने एक रुपये का भी कर्ज नहीं लिया. कर्ज किंगफिशर एयरलाइन्स ने लिया था. पैसे का नुक़सान एक वास्तविक और दुखद व्यापारी नाकामी की वजह से हुआ. गारंटर होना फर्जीवाड़ा नहीं है. 

English summary :
Vijay Mallya extradition: The extradition of businessman Vijay Mallya, who fraud thousands of crores rupees from Indian banks, has already been approved but it will take months to come to India. Mallya is in the UK from the year 2016.


Web Title: Vijay Mallya extradition will not be possible before lok sabha election 2019 it may take up to 2 years

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