दिल्ली की एक अदालत ने बीजेपी के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और सात अन्य को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत के मामले में सजा सुनाई है। कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर सहित सभी दोषियों को 10 साल की कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सेंगर और उनके भाई अतुल सेंगर को पीड़ित के परिवार को 10-10 लाख रुपये का जुर्माना देने के लिए कहा है। बता दें, कोर्ट ने चार मार्च को कुलदीप सिंह सेंगर और सात अन्य को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत के मामले में गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया था। उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी। जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने यह भी कहा था कि रिकार्ड में लाये गए तथ्यों और परिस्थितियों से यह संदेह से परे साबित हुआ है कि आरोपियों ने एक देसी कट्टा और चार गोलियां रखकर पीड़ित को झूठे मामले में फंसाने के लिए भी षड्यंत्र रचा था।
अदालत ने आरोपियों..अशोक सिंह भदौरिया, के पी सिंह, कुलदीप सिंह सेंगर, विनीत मिश्रा, बीरेंद्र सिंह, शशि प्रताप सिंह, सुमन सिंह और अतुल (सेंगर का भाई) को अपराध के लिए धारा 120 बी के तहत दोषी ठहराया था। वहीं, जिन धाराओं को पढ़ा गया था उनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 166, 167, 193, 201, 211, 218, 323, 341, 304 शामिल थीं। अदालत ने आरोपियों को शस्त्र कानून की एक धारा के तहत भी दोषी ठहराया था।
Unnao rape case (custodial death of father of victim matter):Delhi court has sentenced all convicts including expelled BJP MLA Kuldeep Singh Senger (in file pic) to 10 yrs imprisonment. Senger&his brother Atul Senger to pay Rs. 10 lakhs each as compensation to the victim's family pic.twitter.com/O1RO7aHMwN— ANI (@ANI) March 13, 2020
अदालत ने 20 दिसंबर को सेंगर को 2017 में दुष्कर्म करने के आरोप में आजीवन कैद की सजा सुनाई थी। घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले में 55 गवाहों का परीक्षण किया जबकि बचाव पक्ष ने नौ गवाहों का परीक्षण किया। अदालत ने पीड़िता के एक रिश्तेदार, मां, बहन और उसके पिता के एक सहकर्मी के बयान दर्ज किए। उसके पिता के सहकर्मी ने घटना का चश्मदीद होने का दावा किया था।
सीबीआई के अनुसार, तीन अप्रैल 2018 को दुष्कर्म पीड़िता के पिता और शशि प्रताप सिंह के बीच झगड़ा हुआ था। 13 जुलाई 2018 को दाखिल आरोपपत्र में कहा गया कि पीड़िता के पिता और उनके सहकर्मी अपने गांव माखी लौट रहे थे तभी उन्होंने सिंह को (अपने वाहन में) लिफ्ट देने के लिए कहा। सिंह ने लिफ्ट देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उनके बीच विवाद हुआ। सिंह ने अपने सहयोगियों को बुलाया। इसके बाद कुलदीप सेंगर का भाई अतुल सिंह सेंगर अन्य लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंचा और महिला के पिता तथा उनके सहकर्मी की पिटाई की। इसके बाद महिला के पिता को उनके द्वारा पुलिस थाना ले जाया गया, जहां उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपपत्र में कहा गया है कि इन सबके दौरान कुलदीप सेंगर जिले के पुलिस अधीक्षक और माखी पुलिस थाने के प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया के संपर्क में था। बाद में उसने उस डॉक्टर से भी बात की जिसने दुष्कर्म पीड़िता के पिता की जांच की थी। मामले में सेंगर, उसके भाई अतुल, भदौरिया, सब इंस्पेक्टर कामता प्रसाद, कांस्टेबल आमिर खान और छह अन्य के खिलाफ आरोप तय किया गया।
पिछले साल एक अगस्त को उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मामला उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। जुलाई 2019 में एक ट्रक ने उस कार को टक्कर मार दी थी, जिसमें पीड़िता अपने परिवार के कुछ सदस्यों तथा अपने वकील के साथ यात्रा कर रही थी। घटना में उसकी दो रिश्तेदारों की मौत हो गई। पीड़िता को लखनऊ के एक अस्पताल से विमान से दिल्ली स्थित एम्स लाया गया। पीड़िता को दिल्ली में ठहराया गया है और वह सीआरपीएफ की सुरक्षा में है।