पुणे: महाराष्ट्र के पुणे शहर में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 37 साल के एक शख्स को अपनी ही बेटी के साथ बार-बार रेप करने के आरोप में 30 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस मामले की सुनवाई के बाद अपने फैसले में अदालत ने कहा कि आरोपी शख्स को सबक सिखाने व समाज में उदाहरण पेश करने के लिए इस तरह की अधिकतम सजा जरूरी है।
पुलिस के अनुसार, घटना अक्टूबर 2019 से पहले हुई थी। इस घटना के बाद लड़की गर्भवती हो गई थी, जिसके बाद लड़की का गर्भपात भी कराया गया था। इस मामले में प्राथमिकी अक्टूबर 2019 में लड़की ने दर्ज कराई थी, जो उस समय 16 साल की थी।
उसने अपनी शिकायत में कहा था कि जून और अक्टूबर 2019 के बीच, उसके पिता जो कि एक ठेकेदार हैं। उन्होंने बार-बार बेटी के साथ बलात्कार किया और उसका यौन शोषण किया।
पुलिस के समक्ष लड़की ने कहा था कि उसके पिता ने उसके गर्भपात के बाद भी उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी। साथ ही लड़की ने कहा कि जब मां ने ऐसा करने से रोकने का प्रयास किया तो पिता ने मां के साथ भी मारपीट की थी।
POCSO एक्ट व अन्य धाराओं में कोर्ट ने ये सजी सुनाई है
विशेष न्यायाधीश केके जहागीरदार की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने शनिवार को भारतीय दंड संहिता की धाराओं और पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों से संबंधित 30 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा, शारीरिक हमले के लिए एक साल का कारावास, आपराधिक धमकी के लिए छह महीने, POCSO अधिनियम के तहत अन्य धाराओं के लिए पांच साल और एक साल की सजा मिली, जो सभी क्रमागत रूप से चलेंगे।
अदालत में जज ने मामले की सुनवाई कर ये कहा-
इस मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत में जज ने कहा कि मैं इस मामले में सरकारी वकील के तर्क से सहमत हूं कि यह अरोपी द्वारा उसकी बेटी के खिलाफ किया गया एक जघन्य अपराध है। उसे सबक सिखाने और समाज के सामने एक उदाहरण रखने के लिए अधिकतम सजा दी जानी आवश्यक है।