मुजफ्फरपुर कांड: पाटलिपुत्र महिला अल्पावास का खुलासा, रॉड से पिटाई के बाद लड़कियों को किया जाता था निर्वस्त्र

By एस पी सिन्हा | Published: August 8, 2018 07:55 PM2018-08-08T19:55:53+5:302018-08-08T19:55:53+5:30

बताया जाता है कि रिपोर्ट आने के बाद 20 जुलाई को अल्पावास का संचालक कमरा खाली कर सामान के साथ फरार हो गया। संचालक के भागने के बाद संबंधित विभाग के पदाधिकारियों की नींद खुली और चार अगस्त को प्राथमिकी दर्ज हुई।

Muzaffarpur scandal: Discovery of Pataliputra Mahila Alpavas, after being thrown by rod, was used to nude girls | मुजफ्फरपुर कांड: पाटलिपुत्र महिला अल्पावास का खुलासा, रॉड से पिटाई के बाद लड़कियों को किया जाता था निर्वस्त्र

मुजफ्फरपुर कांड: पाटलिपुत्र महिला अल्पावास का खुलासा, रॉड से पिटाई के बाद लड़कियों को किया जाता था निर्वस्त्र

पटना,8 अगस्त: बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका अल्पावास गृह मामले की सुर्खियां बनने के बाद अब चर्चा में आई पटना के पाटलिपुत्र इलाके के में चल रहे अल्पावास गृह का की भी कहानी कम भयावह नहीं है। उस अल्पावास गृह का कॉन्ट्रैक्ट 25 मई को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की रिपोर्ट आने के बाद दो जुलाई को खत्म किया कर दिया गया था। लेकिन इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देर की गई, अर्थात उसे भागने दिया गया।

बताया जाता है कि रिपोर्ट आने के बाद 20 जुलाई को अल्पावास का संचालक कमरा खाली कर सामान के साथ फरार हो गया। संचालक के भागने के बाद संबंधित विभाग के पदाधिकारियों की नींद खुली और चार अगस्त को प्राथमिकी दर्ज हुई। टिस की रिपोर्ट में उक्त अल्पावास में महिलाओं से दुर्व्यवहार व अन्य इंतजाम ठीक नहीं होने की जानकारी दी गई थी।

पाटलिपुत्र थाने में प्राथमिकी दर्ज हुए तीन दिन हो गये। लेकिन, पुलिस अभी तक संचालक के नाम व पता की ठीक से जानकारी नहीं ले पाई है। केवल संस्था के संचालक के कार्यालय की जानकारी मिली है। जिसका पता सारण जिले के सरैया थाने के संग्रामपुर का है। संस्था के समन्वयक का पता छपरा टाउन थाने के प्रभुनाथ नगर का दिया गया है। संस्था जिस मकान में संचालित हो रहा था उसके मकान मालिक से नरेंद्र सिंह का नाम मिला है। 

लेकिन वह संस्था का मालिक है या नहीं यह सत्यापित नहीं हो पाया है। वहीं, इसके बाद जो बातें सामने आ रही हैं, वह ऐसी हैं कि सुनकर रूह कांप जाए। यहां रह रही महिलायें-लडकियां केवल इतना कह दें कि मैडम खाना खराब मिलता है। बस, इतना कहते ही लड़कियों को कमरे में ले जाकर पहले रॉड से पीटा जाता था फिर निर्वस्त्र कर पूरे दिन आश्रय गृह के अंदर घूमने की सजा सुनाई जाती थी। लोकलाज से लड़की कोने में छिपकर रोती थी। लेकिन 'मैडम' के डर से कोई दूसरी लडकी उसे कपडे देने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।

सूत्रों के अनुसार पाटलिपुत्र कॉलोनी स्थित इकार्ड के आश्रय गृह में एक लडकी के साथ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किया गया था। 

22 मई को भी एक लडकी को गलती पर मैडम ने निर्वस्त्र कर आश्रय गृह में घुमाया था। वह एक कोने में सिसक रही थी। लेकिन कोई उसे कपडे नहीं दे रहा था। एक लडकी ने साहस दिखा उसे कपडे दिए। लेकिन, जब मैडम को पता चला तो उसे रॉड से पीटा और 10 दिनों तक शौचालय के मग से नहाने की सजा दी गई। विरोध किया तो और पीटा गया। कई और लडकियों को ऐसी सजा दी गई। सूत्र बताते हैं कि एक लडकी को अनुसंधानकर्ता कोतवाली लेकर गए। वहां उसने फरियाद लगाई कि साहब, इस नरक से अच्छा जेल भेज दीजिए। तो पुलिस का जवाब था, गलती की है, तब न यहां तक आई हो। अब तुम्हारे माई-बाप यही हैं। सूत्रों की मानें तो इकार्ड संस्था के लिए दो-तीन महिला दलाल काम करती थीं जो सरकारी कार्यालयों और थानों में पकडकर लाई गईं लडकियों को फंसाकर आश्रय गृह में लाती थीं। ऐसी लडकियों को शिकार बनाती थीं जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो वे पढी-लिखी न हों।

सूत्रों की अगर मानें तो कोई लडकी अगर किसी लडके के साथ भागी हो और परिजनों ने थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया। इसके बाद वह लडकी संबंधित थाने की पुलिस को मिल गई, तब दलाली का खेल शुरू होता था। महिला दलाल खुद को अधिवक्ता बताकर थाना पुलिस से संपर्क करती थीं। यदि दोनों पक्ष आपस में सुलह कर लें तो भी समझौता नहीं होने देती थीं और लडकी पक्ष को डरा-धमकाकर जबरन लडके पर केस कराती थीं। फिर, पुलिस की मंजूरी से लडकी को आश्रय गृह ले जाती थीं।सूत्रों ने बताया कि महिला प्रभारी पीडिताओं के आने पर कांड के बारे में पूछताछ करतीं और न बोलने पर मारा जाता। इसके बाद वो केस के आइओ को कॉल कर सारी बातें पूछ लेतीं और कहतीं कि वे नहीं बताएंगी तो क्या पता नहीं चलेगा?

एक लडकी को पांच दिन बाद मां से दस हजार रुपये लेकर मुक्त किया गया। एक लडकी की मां ने रुपये नहीं दिए तो उसे काफी दिनों तक रखा गया। समाज में बदनाम करने का भय दिखा कर एक लडकी को ढाई महीने तक आश्रय गृह में रखा गया।

सूत्रों के अनुसार लडकियों को सबसे ज्यादा डर अफसर मैडम से लगता था, जो थाने में मिली थीं। वह कार से आती थीं। लंबी कद-काठी और सांवली रंग की मैडम हर बात में गंदी-गंदी गाली देती थी। जब पता चलता कि आज रात वह यहीं रुकने वाली हैं तो लडकियां सिहर जाती थीं। उनके साथ एक सर भी रहते थे। दोनों कहते कि यहां खूब पैसा मिलेगा मगर जो कहेंगे करना होगा। अगर तेज बनोगी तो यहां से सीधे जेल जाओगी। एक लडकी से कहा गया कि घर जाना चाहती है तो 25 हजार मंगवाए। उसने फोन कर एक रिश्तेदार को बुलाया और रुपये देकर मुक्त हुई। अब जांच के दौरान ये सभी बातें सामने आने लगी हैं, जो अल्पावास गृहों की भयावहता को दर्शाने के लिए काफी हैं।

Web Title: Muzaffarpur scandal: Discovery of Pataliputra Mahila Alpavas, after being thrown by rod, was used to nude girls

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