2014 के बाद हत्यारी भीड़ ने 100 को मारा, इस कारण से भीड़ ने लोगों को उतारा मौत के घाट
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: July 24, 2018 12:22 PM2018-07-24T12:22:57+5:302018-07-24T16:00:14+5:30
बीते कई दिनों में देश के अगल अलग जगहों पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई हैं। झूठी अफवाहों पर भरोसा कर भीड़ ने कितनों को मौत के घाट उतार दिया तो कइयों को घायल कर दिया।
बीते कई दिनों में देश के अगल अलग जगहों पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई हैं। झूठी अफवाहों पर भरोसा कर भीड़ ने कितनों को मौत के घाट उतार दिया तो कइयों को घायल कर दिया। आखिर ऐसी कौन सी वजह है कि अचानक इतने लोग किसी एक मकसद से इकट्ठा होकर किसी व्यक्ति की जान लेने पर आमादा हो जाते हैं? ये नजारा धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है।
बच्चा चोरी की अफवाह के चलते साल 2017 से अब तक पीट-पीट कर मार देने से करीब 32 हत्या हो चुकी हैं। सिर्फ साल 2018 की बात करें तो वाट्सऐप के जरिए अफवाह फैलने के बाद 21 से ज्यादा हत्याएं हुई हैं। इस आंकड़ें में गोरक्षा के नाम पर हुई लिंचिंग की घटनाओं को शामिल कर दें तो साल 2015 से अब तक 100 से ज्यादा मौतें हो चुकीं हैं।
क्या कहते हैं मॉब लिंचिंग के आंकड़े
देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग भीड़नुमा हत्यारों (मॉब लिंचिंग) के शिकार हुए। खबरों की मानें तो देश में 2010 से लेकर 2017 के बीच मॉब लिंचिंग की 63 घटनाएं हुई, जिसमें 28 लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। जैसा कि सभी को पता है इस तरह की लगभग आधे से ज्यादा घटनाएं अफवाहें फैलाने के कारण होती हैं।
कुछ समय पहले पेश किए एक सर्वे के मुताबिक, मई 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कुल घटनाओं में से 97 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। मॉब लिंचिंग की 100 घटनाओं में से 32 घटनाएं गायों से संबंधित थी। साथ ही इन घटनाओं में कुल 124 लोग जख्मी हुए। बीते कुछ समय में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि लोगों की बदलती मानसिकता पर सवाल खड़े करती है। 2018 जून से अब तक इन आंकड़ो में बढ़ोत्तरी देखी गई है। क्योंकि जून से अब तक लगातार मॉब की घटनाएं अलग अलग रूप में बढ़ रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट का बयान
मॉब की बढ़ती घटनाओं पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने संसद से मॉब लिंचिंग के खिलाफ नया और सख्त कानून बनाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी नागरिक अपने आप में कानून नहीं बन सकता है, लोकतंत्र में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसको लेकर नया कानून बनाने के संबंध में भी जानकारी मांगी है। फिलहाल जो कानून है वह साफ़-साफ़ इस क्राइम के बारे में कुछ भी नहीं है।
अगर इस तरह की घटनाएं होती रहीं तो वो कल को भारत को लिंचिंस्तान तक कहा जाएगा। विचित्र बात ये है कि जिन राज्यों में इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं वहां बीजेपी की सरकार है।