मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और छह अन्य के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध कानून (मकोका) के तहत लगाए गए आरोप हटा लिए। लेकिन इनके बाइज्जत बरी होने पर संदेह जताया जा रहा है। बुधवार को विशेष एनआईए अदालत ने सभी आरोपों से मुक्त करने की उनकी अर्जी खारिज कर दी है। वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम ने कहा कि इस मामले में मकोका हटने से सिर्फ जमानत की अवधि बढ़ी है लेकिन दूसरे कानून के तहत उनके खिलाफ मुकदमा चलेगा।
राहत मिली रिहाई नहीं
बुधवार को एनआईए के फैसले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, रमेश उपाध्याय, संदीप डागे, सुधाकर चतुर्वेदी और अजय रहिरकर के खिलाफ मकोका हटने से राहत मिली है। निकम का कहना है कि इससे सिर्फ जमानत अवधि बढ़ी है लेकिन दूसरे कानून के तहत उनके खिलाफ मुकदमा चलेगा। एएनआई कोर्ट ने तीन आरोपियों श्याम साहू, शिवनारायण कुलसांग्रा और प्रवीण तकलकी को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। बता दें कि इस साल अप्रैल में साध्वी प्रज्ञा और अगस्त में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी।
संगठित अपराध की कमर तोड़ने के लिए बना मकोका
महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) 1999 में बनाया गया था। यह अंडरवर्ल्ड से जुडे संगठित अपराध की कमर तोड़ने के लिए लाया गया था। इसे क्राइम सिंडिकेट चलाने वालों पर वरिष्ठ अधिकारी की सहमति से लगाया जाता है। मकोका के तहत जमानत का प्रावधान भी नहीं है।
मालेगांव ब्लास्ट से जुड़ी टाइमलाइनः-
- 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में बम धमाका हुआ था जिसमें 6 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
- 20 नवंबर 2008 को मकोका लगा दिया गया और एटीएस ने 21 जनवरी 2009 को पहला आरोप पत्र दायर किया।
- महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी जांच में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। बाद में जांच एनआईए को सौंपी गई।
- मई 2016 में अपनी चार्जशीट में एनआईए ने कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को धमाकों की साजिश के प्रमुख आरोपियों में से एक बताया। - 25 अप्रैल 2017 को बांबे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत दे दी, 23 अगस्त 2017 को कर्नल पुरोहित 9 साल बाद जेल से बाहर आए.
- 27 दिसंबर 2017 को कोर्ट ने श्रीकांत पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ मकोका हटा दिया। उनपर IPC की धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा।