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‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ सर्च बढ़ने को लेकर एनसीपीसीआर ने गूगल, ट्विटर और व्हाट्सएप से जानकारी मांगी, लॉकडाउन में 95 फीसदी बढ़ा ट्रैफिक

By भाषा | Updated: April 25, 2020 20:53 IST

हाल ही में आईसीपीएफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से पहले की तुलना में 24 मार्च से 26 मार्च के बीच ‘चाइल्ड पोर्न’ के सर्च के लिए भारत से आने वाले ट्रैफिक (किसी वेबसाइट पर आगंतुकों की संख्या) में 95 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

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ठळक मुद्देआयोग के मुताबिक उसने यह भी पाया कि इस तरह की सामग्री को लेकर कुछ व्हाट्एसएप ग्रुप भी चल रहे हैं तथा ट्विटर के माध्यम से इनके लिंक का प्रचार किया जा रहा है। आयोग ने इन तीनों प्रमुख आईटी कंपनियों के भारतीय प्रबंधन को पत्र भेजकर कहा कि ‘आईसीपीएफ’ नामक संस्था की रिपोर्ट आने के बाद उसने जांच करने का फैसला किया

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने लॉकडाउन के दौरान भारत में इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सामग्री का सर्च बढ़ने से जुड़ी एक रिपोर्ट पर गूगल, व्हाट्सएप और ट्विटर से कुछ जानकारियां मांगी है जिनके आधार पर वह अपनी जांच को आगे बढ़ाएगा।

आयोग ने इन तीनों प्रमुख आईटी कंपनियों के भारतीय प्रबंधन को पत्र भेजकर कहा कि ‘आईसीपीएफ’ नामक संस्था की रिपोर्ट आने के बाद उसने जांच करने का फैसला किया और जांच के शुरुआती दौर में यह पता चला कि बाल यौन उत्पीड़न से जुड़ी सामग्री गूगल प्ले स्टोर के जरिए डाउनलोड होने वाले कई ऐप के माध्यम से लोगों को उपलब्ध हो रही है। आयोग के मुताबिक उसने यह भी पाया कि इस तरह की सामग्री को लेकर कुछ व्हाट्एसएप ग्रुप भी चल रहे हैं तथा ट्विटर के माध्यम से इनके लिंक का प्रचार किया जा रहा है।

एनसीपीसीआर ने इन तीनों आईटी कंपनियों से कहा कि वे बाल यौन उत्पीड़न की सामग्री से जुड़ी शिकायतों की संख्या और इस तरह की सामग्री की उपलब्धता रोकने के लिए उठाए गए कदमों एवं नीतियों की जानकारी 30 अप्रैल तक दें।

हाल ही में आईसीपीएफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से पहले की तुलना में 24 मार्च से 26 मार्च के बीच ‘चाइल्ड पोर्न’ के सर्च के लिए भारत से आने वाले ट्रैफिक (किसी वेबसाइट पर आगंतुकों की संख्या) में 95 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

इस संस्था के मुताबिक यह दिखाता है कि बच्चों के प्रति यौन आकर्षण रखने वाले, बच्चों से दुष्कर्म करने वाले और बाल पोर्नोग्राफी की लत रखने वाले लाखों लोग इन दिनों ऑनलाइन सक्रिय हो गए हैं जो इंटरनेट को बच्चों के लिए बेहद असुरक्षित बनाता है। 

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