झारखंड: साइबर अपराधी अब लाखों की सैलरी पर गैंग में शामिल कर रहे साइबर एक्सपर्ट, हैरान करने वाला खुलासा
By एस पी सिन्हा | Published: January 7, 2022 07:27 PM2022-01-07T19:27:53+5:302022-01-07T19:29:09+5:30
झारखंड में गिरफ्तार किये गये अपराधियों में दो देवघर जिले के और एक दुमका का रहनेवाला है. इन्हें दुमका के पर्यटन स्थल गुमरो पहाड़ से पकड़ा गया.
रांची: झारखंड में सक्रिय साइबर अपराधी अब अपने गैंग में मोटी तनख्वाह पर साइबर एक्सपर्ट को बहाल कर लोगों से ठगी करा रहे हैं. इस बात का खुलासा दुमका में हुआ है. दुमका के पर्यटन स्थल गुमरो पहाड़ से तीन साइबर अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिनसे पूछताछ के बाद इसका खुलासा हुआ.
बताया जाता है कि साइबर गैंग का सरगना अपने गिरोह में साइबर एक्सपर्ट को 10 हजार रुपये से लेकर 35 हजार रुपये हर दिन देता है. इस तरह से देखा जाये, तो इन साइबर एक्सपर्ट की कमाई हर महीने 10 लाख रुपये से अधिक की होती है.
ऐसे हुई तीन अपराधियों की गिरफ्तारी
गिरफ्तार किये गये अपराधियों में दो देवघर जिले के और एक दुमका का रहनेवाला है. डीएसपी मुख्यालय (दुमका) विजय कुमार ने बताया कि दुमका एसपी दुमका को गुप्त सूचना मिली थी कि गुमरो पहाड़ पर साइबर अपराधी इकट्ठा हुए हैं. इस सूचना के सत्यापन और कार्रवाई के लिए एसपी ने डीएसपी मुख्यालय व डीएसपी साइबर सेल शिवेंद्र के नेतृत्व में छापेमारी टीम का गठन किया.
इस टीम ने गुमरो में लैपटॉप-मोबाइल लेकर डेरा डाल रखे तीन साइबर अपराधियों को धर दबोचा, जबकि करीब 5 साइबर अपराधी भागने में कामयाब हुए. फरार साइबर अपराधियों की धर-पकड़ के लिए छापेमारी की जा रही है.
डीएसपी के अनुसार पूछताछ के दौरान साइबर अपराधियों ने बताया कि लैपटॉप ऑपरेट करने वाले शख्स को 35 हजार रुपये का मेहनताना रोज दिया जाता है, जबकि पुरुष और महिलाओं की आवाज में कस्टमर केयर के फर्जी नंबर पर फोन रिसिव करनेवाले को तथा झांसे में लेकर लोगों के मोबाइल को एनीडेस्क के जरिये कनेक्ट कर सारा फर्जीवाड़ा करने वाले को 15 हजार रुपये तथा एक अकाउंट में पैसा आते ही पलभर में राशि को उड़ाकर दूसरे खाते में डालनेवाले को 10 हजार रुपये का मेहनताना दिया जाता है.
इन साइबर अपराधियों के द्वारा हर दिन कितने लोगों को ठगी का शिकार बनाते है. इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि साइबर अपराधी अपने गैंग में एक्सपर्ट को लाखों की तनख्वाह में रखते हैं.
डीसपी ने बताया कि साइबर अपराधी बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं लेकिन वह लैपटॉप चलाने में बहुत एक्सपर्ट हैं. इनकी इसी विशेषता की वजह से लैपटॉप चलाने का काम इस धंधे के मास्टरमाइंड ने उसे सौंपा था. डीएसपी साइबर सेल शिवेंद्र ने बताया साइबर अपराधी राकेश मंडल ही कस्टमर केयर के तौर पर खुद को वेबसाइट पोर्टल में दर्ज कर देता है. ऐसे में जब कॉल कोई करता है, तो एटीएम ब्लॉक होने, लाइफ सर्टिफिकेट या ई-केवाईसी जमा नहीं होने की बात कहकर झांसे में लेने के लिए पंकज महिला की आवाज में बात करता है, जबकि मानिक पलक झपकते ही खाते में आये पैसे को दूसरे खातों में भेज देता है.
इस काम में उसे मुश्किल से चार-पांच सेकेंड ही लगते हैं, ताकि कोई बैंक में अपने खाते से हुए ट्रांजेक्शन से भी पता लगाने की कोशिश करे, भी तो उसे लाभ नहीं मिले.