बिहार में निर्भया कांड: गैंगरेप के बाद पीड़िता के साथ दरिंदगी, पटना मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी की घटिया हरकत
By एस पी सिन्हा | Published: August 11, 2019 01:31 PM2019-08-11T13:31:19+5:302019-08-11T13:33:16+5:30
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस घटना बाद में लड़की को किसी तरह घर पहुंचकर अचेत हो गई. बेहोशी की हालत में परिजनों ने उसे छपरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन हालत चिंताजनक देखकर उसे पटना के पीएमसीएच भेज दिया गया.
बिहार के छपरा में शहर के नगर थाना क्षेत्र के रौजा मोहल्ले में एक किशोरी के साथ दुष्कर्म करने तथा उसके गुप्तांग में लोहे का रॉड डालने की शर्मनाक घटना शनिवार को हुई है. इस घटना ने दिल्ली के 'निर्भया कांड' की याद दिला दी है. हद तो तब हो गई, जब पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के डॉक्टरों ने बुरी तरह घायल लड़की का तब तक इलाज करने से इनकार कर दिया, जब तक उसे प्राथमिकी की कॉपी न मिल जाए.
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस घटना बाद में लड़की को किसी तरह घर पहुंचकर अचेत हो गई. बेहोशी की हालत में परिजनों ने उसे छपरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन हालत चिंताजनक देखकर उसे पटना के पीएमसीएच भेज दिया गया.
हालांकि, पुलिस का कहना है कि इस मामले में पीड़िता के परिजनों का बयान दर्ज नहीं हो सका है. घटना की प्राथमिकी दर्ज नहीं होने के कारण विस्तृत जानकारी नहीं मिल पा रहा है. बयान दर्ज करने के लिए नगर थाना की पुलिस तथा महिला थानाध्यक्ष को पटना भेजा गया है. नगर थानाध्यक्ष विमल कुमार सिंह ने बताया कि इस मामले में जब तक बयान दर्ज नहीं हो जाता है, तब तक घटना के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. इस घटना को लेकर मोहल्ले में तरह-तरह की चर्चा का बाजार गर्म है.
मोहल्ले के लोगों ने बताया कि शनिवार दोपहर के समय कि यह घटना है. घटना के बाद रोते बिलखते किशोरी अपने घर पहुंची. खून से लथपथ हालत में देख कर परिजन घबरा गये. पहले तो, परिजन भी घटना के बारे में समझ नहीं पाये. इलाज के लिए जब वह सदर अस्पताल में लेकर पहुंचे और लड़कीकुछ होश में आयी तो, घटना के बारे में परिजनों को जानकारी दी.
वहीं, सारण एसपी ने मामले में बताया कि पीड़िता की स्थिति खतरे से बाहर है. पीड़िता का इलाज फिलहाल पीएमसीएच में चल रहा है. इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि तीसरे आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार प्रयास कर रही है.
घटना का दूसरा शर्मनाक पहलु पटना के पीएमसीएच में देखने को तब मिला, जब बुरी तरह घायल लड़कीका तत्काल इलाज करने से पीएमसीएच के डॉक्टरों ने इनकार कर दिया. वे इलाज के पहले प्राथमिकी की कॉपी के लिए अड गए. परिजनों ने बार-बार आगह किया कि प्राथमिकी कॉपी आ ही जाएगी, इलाज तो शुरू कीजिए, लेकिन वे नहीं माने. बाद में जब मामला मीडिया में गया मे डॉक्टरों को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन याद आई और इलाज शुरू हुआ. दुर्घटना या अपराध के मामलों में डॉक्टरों को तत्काल इलाज आरंभ करना है.
पुलिस औपचारिकताओं के पूरे होने होने के नाम पर इलाज को नहीं रोकना है. लेकिन इस मामले में पीएमसीएच में डॅक्टरों ने पुलिस औपचारिकता के नाम पर तीन घंटे तक इलाज शुरू नहीं किया और जब दबाव बढा तो बिना प्राथमिकी के इलाज शुरू किया.