झारखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ ईडी की कार्रवाई से सत्ता के गलियारे में मचा हड़कंप, पूजा सिंघल मामले में जोड़ी जा रही हैं कड़ियां
By एस पी सिन्हा | Published: May 27, 2022 03:11 PM2022-05-27T15:11:08+5:302022-05-27T15:14:17+5:30
राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले में जन प्रतिनिधित्व कानून के दायरे में आ सकते हैं। उनपर पद के दुरुपयोग का आरोप है। उनकी पत्नी पर रांची से सटे औद्योगिक क्षेत्र में जमीन लेने का आरोप भी उन्हें असहज कर रहा है।
रांची:झारखंड एक दशक बाद फिर से भ्रष्टाचार के काले कारनामे को लेकर चर्चा में है। आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल से शुरू हुए काले कारनामे की कहानी को ईडी कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए धीरे-धीरे सत्ता के शीर्ष में बैठे व्यक्तियों तक पहुंचती दिख रही है। ईडी के द्वारा की जा रही छापेमारी ने राज्य के पूरे तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले में जन प्रतिनिधित्व कानून के दायरे में आ सकते हैं। उनपर पद के दुरुपयोग का आरोप है। उनकी पत्नी पर रांची से सटे औद्योगिक क्षेत्र में जमीन लेने का आरोप भी उन्हें असहज कर रहा है। उनके भाई विधायक बसंत सोरेन भी खनन कंपनी चलाने के आरोपों में निर्वाचन आयोग को जवाब भेज चुके हैं। इससे राज्य सरकार का भी संकट बढ़ा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पूरा कुनबा आरोपों के घेरे में है। उन पर आरोप है कि उन्होंने पद पर रहते हुए पत्थर खनन पट्टा लिया। भाजपा ने जब इसकी शिकायत राज्यपाल से करते हुए उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग उठाई तो मामला आगे बढ़ा। वहीं, पूजा सिंघल और खनन पदाधिकारियों से पूछताछ के बाद उनकी निशानदेही पर सत्ता शीर्ष के करीबी रहे रवि केजरीवाल, विशाल चौधरी, निशिथ केसरी, प्रेम प्रकाश आदि तक जांच की आंच पहुंच चुकी है।
केजरीवाल उन मुखौटा कंपनियों की देखरेख करता था, जिसमें सत्ता में बैठे प्रभावी लोगों की साझेदारी है। वह कभी सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का कोषाध्यक्ष हुआ करता था। लेकिन अंदरूनी मतभेद के कारण उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जबकि निशिथ केसरी मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव आईएएस अधिकारी राजीव अरुण एक्का का करीबी रिश्तेदार है।
इसके साथ ही ईडी का ताजा शिकार प्रेम प्रकाश है। वह हर शासन में प्रभावी भूमिका में रहा है। ऐसे में सत्ता से सांठगांठ कर विभिन्न तरीकों से भ्रष्टाचार में लिप्त नौकरशाह, नेता और दलाल, सभी का बारी-बारी से नंबर आएगा। कहा तो यहां तक जा रहा है कि झारखंड के गठन के बाद से अब तक का यह सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरूण एक्का के रिश्तेदार से लेकर कुछ ऐसे कारोबारी दलाल ईडी के शिकंजे में आ चुके हैं, जिनके सामने राज्य की नौकरशाही दुम हिलाती रही है। उनसे बरामद डिजिटल डिवाइसों, दस्तावेजों में छिपे राज को लेकर हर कोई हलकान दिख रहा है। सूत्रों के अनुसार अभी जारी की कड़ी दर कड़ी जुड़ी तो यह चारा घोटाले से भी बड़ा घोटाला साबित हो सकता है। जिसके घेरे में दर्जनों भ्रष्ट नेता, नौकरशाह व दलाल आ सकते हैं।
यहां बता दें कि इससे पहले निर्दलीय मधु कोड़ा के मुख्यमंत्रित्व काल में हुई बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता के कारण राज्य की छवि खराब हुई थी। इस बीच हालिया प्रकरण के तहत ईडी ने राज्य की एक चर्चित आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल और उनके करीबियों के 25 ठिकानों पर छापेमारी की। मुखौटा कंपनियों के माध्यम से इसके तार हवाला के जरिये पैसों के हस्तांतरण से भी जुड़ा है।