नाबालिग से दुष्कर्म मामले में तीन साल से फरार राजद के पूर्व विधायक अरुण यादव ने किया आत्मसमर्पण, जेल, जानिए क्या है पूरा मामला
By एस पी सिन्हा | Published: July 16, 2022 04:38 PM2022-07-16T16:38:10+5:302022-07-16T16:40:30+5:30
पूर्व विधायक अरुण यादव के विरुद्ध अभी तक रंगदारी, हत्या और आर्म्स एक्ट समेत अन्य मामलों से जुड़े 13 गंभीर केस मिले हैं. ऐसे में उन्होंने आज आरा कोर्ट में एडीज-6 की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.
पटनाः बिहार में बलात्कार के आरोप में पिछले तीन साल से फरार चल रहे राजद के पूर्व विधायक अरुण यादव ने आज आरा कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. कोर्ट ने उन्हें हिरासत में लेते हुए जेल भेज दिया है.
संदेश विधानसभा क्षेत्र से राजद के पूर्व विधायक रहे अरुण यादव नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में तीन साल से फरार चल रहे थे और पुलिस लगातार उनकी तलाश कर रही थी. राजद के पूर्व विधायक अरुण यादव की पत्नी किरण देवी इस समय संदेश विधानसभा क्षेत्र से राजद की विधायक हैं. दरअसल, 18 जुलाई 2019 को पीड़िता पटना के सेक्स रैकेट संचालकों के चंगुल से भाग कर आरा आई थी.
उसके बाद 19 जुलाई 2019 को रेप कांड एवं पॉक्सों के तहत राजद विधायक अरुण यादव पर आरा टाउन थाना में केस दर्ज हुआ था. इस केस में दो नामजद आरोपी बनाए गए थे. जांच में विधायक समेत चार का नाम आया था, जिसमें विधायक अरुण यादव पिछले तीन साल से फरार चल रहे थे.
पुलिस के मुताबिक पूर्व विधायक अरुण यादव के विरुद्ध अभी तक रंगदारी, हत्या और आर्म्स एक्ट समेत अन्य मामलों से जुड़े 13 गंभीर केस मिले हैं. ऐसे में उन्होंने आज आरा कोर्ट में एडीज-6 की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. अरुण यादव का आत्मसमर्पण इतना गुप्त तरीके से हुआ कि किसी को कानों कान तक खबर नहीं लगी.
बता दें कि पीड़िता के 164 के पहले बयान में मनरेगा के इंजीनियर अमरेश कुमार तथा संजय कुमार उर्फ जीजा को आरोपित किया गया. जबकि 164 के दूसरे बयान में राजद के पूर्व विधायक अरुण यादव को आरोपी बनाया गया था. पुलिस के मुताबिक पूर्व विधायक अरुण यादव के विरुद्ध अभी तक रंगदारी, हत्या और आर्म्स एक्ट समेत अन्य मामलों से जुडे़ 13 गंभीर केस मिले हैं.
साल 2010 से लेकर 2018 के बीच विधायक द्वारा काफी संपत्ति अर्जित की गई है. 2005 के बाद से आरोपी विधायक द्वारा अवैध तरीके से अर्जित चल एवं अचल संपत्ति की जांच के लिए पीएमएलए के तहत आर्थिक अपराध इकाई ईओयू पटना एवं ईडी को प्रस्ताव भेजा गया था. तीन साल बाद अरुण यादव द्वारा आत्मसमर्पण किए जाने के बाद आरा की राजनीति भी गर्मा गई है.