बिहार में दागी पुलिस अफसरों को हटाने की कार्रवाई शुरू, करीब 800 दागी पुलिस इंस्पेक्टरों को हटाया गया
By एस पी सिन्हा | Published: August 10, 2019 01:01 AM2019-08-10T01:01:59+5:302019-08-10T01:01:59+5:30
बिहार में पुलिस प्रशासन को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए एक बडा कदम उठाया गया है.
बिहार में पुलिस प्रशासन को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए एक बडा कदम उठाया गया है. सूबे में दागी पुलिस अफसरों को हटाया जा रहा है. यहां 1075 थानों और 225 आउटपोस्ट में तैनात दागी थानेदार और ओपी प्रभारी को हटाने की समय सीमा गुरुवार को समाप्त हो गई है. राज्य के सभी थानों में 15 अगस्त से अपराध नियंत्रण व विधि-व्यवस्था और अनुसंधान विंग अलग-अलग काम करने लगेंगे.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस मुख्यालय को गुरुवार की शाम तक 500 से अधिक थानेदारों और दारोगाओं को हटाये जाने की रिपोर्ट प्राप्त हुई है. फौरी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में दागी इंस्पेक्टरों की संख्या करीब 800 है. गृह विभाग ने थानेदार और सर्किल इंस्पेक्टर के पद पर तैनाती को लेकर मापदंड तय किए हैं. इसमें किसी न्यायालय द्वारा दोषीसिद्ध हुए या किसी कांड में अभियुक्त बनाए पुलिस अधिकारी को थानेदार या अंचल निरीक्षक नहीं बनाया जाता सकता है. इसके साथ ही विभागीय कार्यवाही के बाद तीन या उससे अधिक वृहद सजा मिली है और ऐसे पुलिस अधिकारी जिनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही लंबित हैं, उन्हें भी थानेदार या सर्किल इंस्पेक्टर नहीं बनाया जाएगा. पिछले दो महीनों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो बार विधि व्यवस्था को लेकर बैठक की थी. इसी बैठक में उन्होंने बिहार के डीजीपी और गृह विभाग से कहा था कि ऐसे पुलिस पदाधिकारियों और अधिकारियों को चिन्हित करें, जिनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं या फिर अदालतों ने प्रतिकूल टिपण्णी की है.
बताया जाता है कि सूबे में कई ऐसे थानेदार हैं, जिनके खिलाफ गंभीर आरोप थे लेकिन फिर भी वह थानेदार बन आराम से थानेदारी कर रहे थे. उन्हें किसी का डर नहीं था. ये किसी की नहीं सुनते थे. यहां तक कि अगर कोई गुहार लेकर आता था तो उन्हें ये धमकी देते थे. बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने सभी जिलों के एसपी को ये टास्क दिया था कि ऐसे थानेदारों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करें. इसी अभियान के तहत इतने बडे पैमाने पर थानेदारों को बदला जा रहा है. इनके बाद जिलों में तैनात एसपी की बारी है. बिहार में कई जिलों में अपराध की संख्या बढ गई है. यहां बता दें कि विधि व्यवस्था की एक बैठक में नीतीश कुमार ने पुलिस अधिकारियों को शराब माफिया और पुलिस की मिलीभगत को खत्म करने का आदेश दिया था. उन्होंने कहा था कि मद्य निषेध को और प्रभावी और कारगर बनाने के लिए सबको भावनात्मक जुडाव के साथ काम करना होगा. जिन पुलिस अधिकारियों की शराब धंधेबाजों के साथ मिलीभगत हो उनके खिलाफ भी विभागीय स्तर पर कड़ी कार्रवाई हो. सरकार के आदेश के तहत 15 अगस्त से राज्य के किसी भी थाना और सर्किल में दागदार पुलिस अधिकारी को प्रभारी के तौर पर नहीं रखना है. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि अभी ऐसे दारोगा-इंस्पेक्टर पर निर्णय नहीं हुआ है, जिनकी सेवा पुस्तिका दूसरे जिले में है.
बताया जा रहा है कि जिन सर्किल इंस्पेक्टर, थानाध्यक्ष अथवा ओपी प्रभारी के पदों से जिन अफसरों को हटाया गया है, उनसे अनुसंधान का कार्य नहीं लिया जाएगा. ऐसे अफसरों को विधि-व्यवस्था एवं अपराध नियंत्रण की ड्यूटी ली जायेगी. हालांकि, कुछ एसएसपी द्वारा मार्गदर्शन मांगे जाने पर यह व्यवस्था की गई है. एडीजी मुख्यालय सह पुलिस प्रवक्ता जितेंद्र कुमार के अनुसार, विधि-व्यवस्था व अनुसंधान अलग-अलग करने के क्रम में किन क्षमता-योग्यता के पदाधिकारी पदस्थापित किये जा सकते हैं, इसके लिए स्पष्ट दिशा निर्देश हैं. जो पदाधिकारी मानक पूरे नहीं करते हैं, उनका तबादला किया जा रहा है.