आधार को मोबाइल नंबरों से जोड़ने के बहाने 1100 लोगों से ठगी, 10 करोड़ से अधिक की रकम चंपत, दो गिरफ्तार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 28, 2019 15:57 IST2019-09-28T15:57:07+5:302019-09-28T15:57:07+5:30
पुलिस उपायुक्त (द्वारका) एंटो अल्फोंस ने कहा, ‘‘ पहले, आरोपी किसी दूरसंचार कंपनी के ग्राहकमित्र या बैंक के कर्मचारी के रूप में अपने शिकार (लोगों को) फोन करते थे। फिर, वे उनका आधार नंबर उनके मोबाइल नंबर से जोड़ने के बहाने उनके उनके डेबिट कार्ड का ब्योरा मांगते थे।’’

यादव को हर खाते पर 12000 रुपये मिलते थे।
आधार कार्डों को मोबाइल फोन नंबरों से जोड़ने के बहाने एक हजार से अधिक लोगों को उनके गोपनीय सूचनाएं साझा करने के लिए राजी करके उन्हें कथित रूप से ठगने के सिलसिले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।
मास्टरमाइंड जो झारखंड के जामताड़ा, गिरिडीह, देवघर, धनबाद और पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान के असंगठित कॉल सेंटरों के मार्फत अपना धंधा चलाता है। द्वारका के राकेश गिलानी द्वारा पुलिस में शिकायत करने के बाद यह मामला सामने आया। राकेश को चार लाख रुपये का चूना लगाया गया था।
पुलिस उपायुक्त (द्वारका) एंटो अल्फोंस ने कहा, ‘‘ पहले, आरोपी किसी दूरसंचार कंपनी के ग्राहकमित्र या बैंक के कर्मचारी के रूप में अपने शिकार (लोगों को) फोन करते थे। फिर, वे उनका आधार नंबर उनके मोबाइल नंबर से जोड़ने के बहाने उनके उनके डेबिट कार्ड का ब्योरा मांगते थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ और जब शिकार (फंसे हुए व्यक्ति) सारा विवरण दे देता था तब आरोपी एक संदेश भेजकर उससे कहते थे कि वह उसे ग्राहक मित्र को आगे भेजे। आरोपी फिर उससे कहते थे कि उसका मोबाइल नंबर कुछ समय के लिए बंद हो जाएगा। जबतक शिकार (फंसे हुए व्यक्ति) का फोन नंबर बंद रहता था तबतक आरोपी नया सिम नंबर चालू करवा लेते थे।’’
पुलिस के अनुसार इस तरह आरोपी बैंक खाते के विवरण और अन्य संभावित क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बना लेते थे जहां मोबाइल नंबर ओटीपी या अन्य सुरक्षा पासवर्ड पाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। कुछ ही मिनट में आरोपी अपने शिकार की जानकारी के बगैर मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से विनिमय कर लेते थे।
पुलिस उपायुक्त के अनुसार आरोपियों ने विभिन्न बैंक खातों से 10 करोड़ रुपये से अधिक की रकम चंपत कर दी। पूछताछ के दौरान अंसारी ने यह भी खुलासा किया कि फर्जी खाते भारी कमीशन पर अन्य धोखेबाजों को भी आउटसोर्स किये जाते थे।
यादव को हर खाते पर 12000 रुपये मिलते थे। यादव गरीब लोगों को निशाना बनाता था और प्रति खाते 2000 रुपये की पेशकश करता था। वह उन्हें बैंक खाता विवरण देने के लिए लालच देता था और उनका पता बदल देता था। अधिकारी के अनुसार इस गिरोह ने 1100 खातों का जुगाड़ कर लिया जो धोखे से हड़पी गयी राशि का अंतरण करने के लिए फर्जी पते पर खोले गये।