झारखंडः पांच महिलाओं की निर्मम हत्या करने वाले 11 हत्यारों को कोर्ट ने सुनाई उम्र कैद की सजा
By एस पी सिन्हा | Published: August 2, 2018 08:41 PM2018-08-02T20:41:03+5:302018-08-02T20:41:03+5:30
कोर्ट ने इस मामले के 28 आरोपियों को रिहा कर दिया है, जबकि 11 लोगों को दोषी करार दिया है। दोषी करार दिये गये सभी 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। डायन-बिहासी के नाम पर हुई इस हत्याकांड में 45 ग्रामीणों को आरोपी बनाया गया था। इसमें दो नाबालिग थे और कुछ की मौत हो गई।
रांची, 02 अगस्त:झारखंड के मांडर के कंजिया गांव के मरई टोली में एक साथ 5 महिलाओं की निर्मम हत्या के मामले में अदालत ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसमें तीन साल पहले 5 महिलाओं को डायन (तत्र-मंत्र) बताकर उन्हें निर्वस्त्र कर लाठी डंडे से पीटकर हत्या कर दी गई थी।
कोर्ट ने इस मामले के 28 आरोपियों को रिहा कर दिया है, जबकि 11 लोगों को दोषी करार दिया है। दोषी करार दिये गये सभी 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। डायन-बिहासी के नाम पर हुई इस हत्याकांड में 45 ग्रामीणों को आरोपी बनाया गया था। इसमें दो नाबालिग थे और कुछ की मौत हो गई।
जिन महिलाओं की हत्या हुई है उनमें से एक की बेटी ने अगले दिन पुलिस को बताया कि देर रात लोगों ने तलवार और लाठी से पीटकर उसकी मां को मार डाला। उनके कपड़े फाड़ दिये। मारी गई महिला की बेटी ने बताया था कि उनके इलाके में कई बच्चों की बीमारी से मौत हो गई। लोगों ने इसके लिए उसकी मां को जिम्मेदार ठहराया। वे यह समझने के लिए तैयार नहीं थे कि उनके बच्चे बीमारी से मरे हैं, जादू-टोना से नहीं।
अपर न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत ने अलग-अलग चार प्राथमिकी में शामिल 40 अभियुक्तों पर फैसला सुनाया। अभियुक्तों में कई ऐसे हैं जो चारों मामले में अभियुक्त हैं। मुख्य रूप से 11 अभियुक्तों को दोषी पाकर उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और बाकी को बरी कर दिया गया है। अदालत ने दोषियों को अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई है। इसमें सबसे अधिक उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। दोषियों पर जुर्माना भी लगाया गया है।
अदालत ने कहा सभी धाराओं की सजाएं एक साथ चलेंगी। लेकिन जिन दोषियों को चारों मामले में सजा सुनाई गई। उनकी एक केस की सजा खत्म होने पर पर दूसरे केस की सजा चलेगी। अदालत ने अपने फैसले में एक कविता भी लिखकर टिप्पणी की है। इस मामले में 43 अभियुक्तों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिसमें एक का निधन हो गया है और दो नाबालिक घोषित किए गए हैं।
नाबालिकों का ट्रायल किशोर न्याय बोर्ड में चल रहा है। हत्या के आरोप में मुख्य रूप से वर्णावश खलखो, बीगू उर्फ बिल्लू उराव, कृष्णा खलखो, विश्वनाथ खलखो, पंचू उरांव, बिरसा उरांव, अनिल खलखो उर्फ उरांव, बलदेव खलखो, विश्वनाथ उरांव, मनोज उरांव, जीतवाहन उरांव, लिटवा खलको, सुभाष खलखो, विनोद कुजूर, सनू उरांव, राजू कुजूर, चुन्नी खलखो, जगन्नाथ उरांव, मांगे कुजूर, सोमरा खलखो, चमरा खलखो, बबलू खलखो, जेवियर खलखो, मोजेश खलखो, अलबीनूस खलखो, गंदरू खलखो, जोन खलखो, क्लेमेंट खलखो, कुसुम खलखो, गंगी खलखो, राजेश तिग्गा, रोबो भगत, संदीप खलखो, रोमित खलखो, सन्नो खलखो उर्फ उरांव संजय खलखो, मंगरा बिहारी खलखो, सचिन खलखो, अरुण बाडा और मंगल खलखो पर फैसला आया है।
उल्लेखनीय है कि 7 अगस्त 2015 की आधी रात डायन बिसाही कुप्रथा को लेकर ग्रामीणों ने 5 महिलाओं की हत्या एक साथ कर दी गई थी। जिन महिलाओं की हत्या की गई थी उसमें मदनी खलखो, एतवरिया खलखो, जसिंता खलखो, तेतरी खलखो और रतिया खलखो शामिल थीं।
इन महिलाओं को निर्वस्त्र कर लाठी डंडे से पीटकर और पत्थर से कूचकर हत्या की गई थी। मामले को लेकर मांडर थाने में अलग-अलग 4 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनके शव को बोरे में बंद करकेगांव के बाहर सुनसान जगह में फेंक दिया गया था। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। इस मामले में 50 लोगों की गिरफ्तारी हुई।
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