द वॉल के नाम से मशहूर टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने क्रिकेट जगत का सबसे बड़ा सम्मान दिया है। भारत और विंडीज के बीच तिरुवनंतपुरम वनडे से पहले टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने द्रविड़ को स्मारिका कैप सौंपी। इसी के साथ द्रविड़ यह सम्मान पाने वाले पांचवें भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं।
हॉल ऑफ फेम में शामिल किए जाने के बाद आईसीसी ने विज्ञप्ति में द्रविड़ के हवाले से कहा, 'आईसीसी द्वारा क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया जाना बड़े सम्मान की बात है। सभी पीढ़ियों के महान खिलाड़ियों के बीच अपना नाम देखना ऐसी चीज है, जिसका क्रिकेट करियर के दौरान सपना ही देखा जा सकता है।'
आईसीसी ने इस साल 2 जुलाई को राहुल द्रविड़ को यह सम्मान देने की घोषणा की थी, हालांकि उन्हें अब इससे सम्मानित किया गया है। आईसीसी ने द्रविड़ के साथ पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पॉन्टिंग (1995-2012) और इंग्लैंड की पूर्व महिला क्रिकेटर क्लेयर टेलर (1998-2011) को भी हॉल ऑफ में जगह दी थी।
इन भारतीयों को मिल चुका है ये सम्मान
राहुल द्रविड़ से पहले चार भारतीय खिलाड़ियों के आईसीसी हॉल ऑफ फेम से सम्मानित किया जा चुका है। द्रविड़ से पहले साल 2015 में यह सम्मान भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले को मिला था। उनसे पहले साल 2009 में बिशन सिंह बेदी, कपिल देव और सुनील गावसकर को एक ही साथ हॉल ऑफ फेम से सम्मानित किया गया था।
राहुल द्रविड़ का क्रिकेट करियर
राहुल द्रविड़ वर्तमान में भारतीय अंडर-19 और इंडिया ए टीम के कोच हैं। हाल ही में द्रविड़ की कोचिंग में भारतीय अंडर-19 टीम ने वर्ल्ड का खिताब अपने नाम किया था। राहुल द्रविड़ के नाम भारत की ओर से 164 टेस्ट में 36 शतक की मदद से 13288 रन है। वहीं उन्होंने 344 वनडे में 12 शतक की मदद से 10889 रन बनाए हैं। इसके अलावा भारतीय टीम की ओर से उन्होंने एक टी-20 इंटरनेशनल मैच खेला है, जिसमें उन्होंने 31 रन बनाए हैं।
अब तक 87 खिलाड़ियों को मिल चुका है यह सम्मान
अब तक दुनियाभर के 87 खिलाड़ियों को आईसीसी हॉल ऑफ फेम का सम्मान मिल चुका है। इसमें 80 पुरुष और 7 महिलाएं शामिल हैं। यह सम्मान पाने वाले खिलाड़ियो में सबसे ज्यादा इंग्लैंड के 28 खिलाड़ी हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के 25, वेस्टइंडीज के 18, पाकिस्तान के 5, भारत के 5, न्यूजीलैंड के 3, दक्षिण अफ्रीका के 2 और श्रीलंका के एक खिलाड़ी को यह सम्मान मिल चुका हैं। बता दें कि इस सम्मान की शुरुआत 2009 में हुई थी।