सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 'एक राज्य एक वोट' की नीति, रेलवे, सर्विसेज, यूनिवर्सिटीज की स्थायी सदस्यता बहाल

One State One Vote: सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमिटी द्वारा की गई एक राज्य एक वोट की नीति खारिज कर दी है

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: August 9, 2018 15:28 IST2018-08-09T15:22:31+5:302018-08-09T15:28:50+5:30

Supreme Court rejects One State, One Vote policy, Approves draft constitution by Lodha panel | सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 'एक राज्य एक वोट' की नीति, रेलवे, सर्विसेज, यूनिवर्सिटीज की स्थायी सदस्यता बहाल

बीसीसीआई

नई दिल्ली, 09 अगस्त:सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लोढ़ा कमिटी द्वारा की गई एक राज्य एक वोट की सिफारिश को खारिज करते हुए गुजरात और महाराष्ट्र के तीनों असोसिएशनों को वोट देने की इजाजत दे दी। इससे सौराष्ट्र, वडोदरा, विदर्भ और मुंबई क्रिकेट असोसिएशनों को फिर से अलग-अलग वोट करने की इजाजत मिल गई है।

साथ ही सर्वोच्च अदालत ने लोढ़ा कमिटी के मसौदा संविधान को कुछ संशोधनों के साथ मंजूरी दे दी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जजों के पैनल ने तमिलनाडु सोसाइटीज के रजिस्टार जनरल को बीसीसीआई द्वारा अनुमोदित संविधान को चार हफ्तों के अंदर लागू करने को कहा है। 

इस पैनल, जिसमें एएम खनविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे, ने राज्य संघों से अनुमोदित बीसीसीआई संविधान को 30 दिनों के अंदर लागू करने को कहा है। अगर राज्य संघ ऐसा कर पाने में असफल रहते हैं तो पैनल द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही चेताया है कि संविधान को ना अपनाने वाले राज्यों को बीसीसीआई से फंड नहीं मिलेगा। वहीं कोर्ट द्वारा बीसीसीआई के कामकाज की निगरानी के लिए नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) आगे के निर्देशों के लिए कोर्ट का रुख कर सकता है।

वहीं बीसीसीआई पदाधिकारियों के कूलिंग ऑफ पीरियर के बारे में कोर्ट ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को बीसीसीआई में लगातार दो कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड के लिए जाना होगा। साथ ही तमिलनाडु क्रिकेट संघ के विरोध के बावजूद कोर्ट ने 70 साल से ज्यादा की उम्र के व्यक्ति को बीसीसीआई में पद न दिए जाने की सिफारिश को बरकरार रखा है।

पैनल ने साथ ही रेलवे, सर्विसेज और असोसिएशंस ऑफ यूनिसर्विटीज की स्थायी सदस्यता बहाल कर दी है।

 2016 में अपने एक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमिटी के एक राज्य एक वोट की सिफारिश को मंजूरी दी थी जिसमें कहा गया था  कि एक राज्य में पूर्ण सदस्यता के साथ एक ही क्रिकेट संघ होगा और एक राज्य के पास एक ही वोट देने का अधिकार होगा। 

एक राज्य और एक वोट की नीति की खासकर मुंबई क्रिकेट असोसिएशन, क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया, विदर्भ क्रिकेट असोसिएशन, बड़ौदा क्रिकेट असोसिएशन और सौराष्ट्र क्रिकेट असोसिएशन द्वारा कड़ी आलोचना की गई थी। गुजरात और महाराष्ट्र के इन सभी संघों को भारतीय बोर्ड की अलग स्थायी सदस्यता हासिल है।  

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