सौरव गांगुली बनेंगे BCCI के अगले प्रेसिडेंट? सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऐसे बदली तस्वीर

इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों में बदलाव करते हुए एक राज्य एक वोट नीति को खारिज कर दिया।

By विनीत कुमार | Published: August 11, 2018 3:24 PM

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नई दिल्ली, 11 अगस्त:सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोढ़ा कमेटी के कुछ प्रस्तावों को दरकिनार कर नए संविधान को मान्यता देने के फैसले के बाद सौरव गांगुली के अगले बीसीसीआई प्रसिडेंट बनने को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोर्ट के फैसले के बाद पैदा हुए नये हालात में गांगुली बीसीसीआई के अगले प्रेसिडेंट के तौर पर सबसे मुफीद उम्मीदवार नजर आ रहे हैं। गांगुली फिलहाल बंगाल क्रिकेट बोर्ड (सीएबी) अध्यक्ष हैं।

कोर्ट के फैसले के बाद बीसीसीआई के ज्यादातर प्रशासक कूलिंग ऑफ पीरियड के तहत अयोग्य हो जाएंगे। ऐसे में गांगुली की उम्मीदवारी बड़ी जायेगी जिन्होंने अभी तक बतौर सीएबी अध्यक्ष केवल एक पारी खेली है। गांगुली 2015 में सीएबी के अध्यक्ष बने थे और यह उनका दूसरा कार्यकाल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गांगुली के नाम पर एक सहमति भी है और कई जानकार मानते हैं उनके आने से बोर्ड में स्थायित्व आयेगा जो पिछले कुछ सालों से काफी विवादों में रहा है।

हालांकि, गांगुली अगर बीसीसीआई के नए प्रसेडिंट बनते हैं तो उन्हें निश्चित तौर पर बंगाल क्रिकेट में अपनी कुर्सी खाली करनी होगी। साथ ही 46 साल गांगुली बीसीसीआई प्रसिडेंट बनते भी हैं तो केवल 2 साल इस पद पर बने रह सकते हैं।

दरअसल, कोर्ट ने बोर्ड के जिस संविधान के नये ड्रॉफ्ट को मंजूरी दी है उसमें साफ है कि किसी भी शख्स पर 3 साल का कूलिंग ऑफ पिरियड तभी लागू जब जब उसने किसी राज्य क्रिकेट संघ या फिर बीसीसीआई में बतौर प्रशासक 6 साल जिम्मेदारी संभाल ली हो। यह 6 साल पूरा होने के बाद वो शख्स अगले तीन साल तक बोर्ड में कोई जिम्मेदारी नहीं संभाल सकेगा।

बता दें कि गांगुली फिलहाल बोर्ड की क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य हैं। साथ ही वह तकनीकी समिति और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के भी सदस्य रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार गांगुली की भी बीसीसीआई में अपनी एंट्री को लेकर दिलचस्पी है लेकिन संभवत: वे अगला कदम तभी उठायेंगे जब कोई प्रतिद्वंद्वी सामने नहीं हो।

गौरतलब है कि इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों में बदलाव करते हुए एक राज्य एक वोट नीति को खारिज कर दिया। वैसे कोर्ट ने कुछ सिफारिशों को जरूर तरजीह दी। इसमें प्रशासक के तौर पर 70 साल की उम्र सीमा और किसी राजनेता या सरकारी अधिकारी को बीसीसीआई ऑफिस में जगह नहीं देना शामिल है।

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