IND vs AUS, World Cup Final: खिताब के साथ कार्यकाल को खत्म करना चाहेंगे मुख्य कोच द्रविड़!, दो साल अनुबंध का अंतिम दिन भी रविवार

IND vs AUS, World Cup Final: भारतीय कप्तान के तौर पर 2007 विश्व कप से उनकी विरासत में जो दाग लगा, उसे कोच के तौर पर वह 16 साल बाद मिटाना चाह रहे होंगे जब उनके खिलाड़ी आस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व कप फाइनल में उतरेंगे।

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 18, 2023 7:00 PM

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ठळक मुद्देभारतीय कोच के रूप में उनके दो साल के अनुबंध का अंतिम दिन भी रविवार ही है। टीम के 2021 टी20 विश्व कप के ग्रुप लीग के बाहर होने के बाद शुरू हुआ था।इस खिताबी जीत पर बहुत गौरवान्वित होंगे।

IND vs AUS, World Cup Final: भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ 2007 विश्व कप में उस टीम के कप्तान थे जो शुरूआती दौर में बाहर हो गयी थी जिससे अब वह रविवार को आस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में इसकी भरपायी करना चाहेंगे। द्रविड़ के नाम वनडे में 10,889 रन है।

लेकिन भारतीय कप्तान के तौर पर 2007 विश्व कप से उनकी विरासत में जो दाग लगा, उसे कोच के तौर पर वह 16 साल बाद मिटाना चाह रहे होंगे जब उनके खिलाड़ी आस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व कप फाइनल में उतरेंगे। दिलचस्प बात है कि भारतीय कोच के रूप में उनके दो साल के अनुबंध का अंतिम दिन भी रविवार ही है।

उनका अनुबंध संयुक्त अरब अमीरात में टीम के 2021 टी20 विश्व कप के ग्रुप लीग के बाहर होने के बाद शुरू हुआ था। अगर भारत जीत जाता है तो उन्हें इस पद पर बरकरार रखने के लिए काफी शोर होगा लेकिन जो भी द्रविड़ को जानता है, वो कहेगा कि वह इस खिताबी जीत पर बहुत गौरवान्वित होंगे।

भारतीय टीम में उनके एक पूर्व साथी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘जैमी (राहुल का निकनेम) ऐसा है जो बहुत स्वाभिमानी है। उन्होंने 2007 विश्व कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कप्तानी नहीं छोड़ी थी लेकिन कुछ महीनों के बाद इंग्लैंड में सीरीज जीती थी और वनडे सीरीज भी अच्छी रही थी।’ उन्होंने कहा, ‘इंग्लैंड में टेस्ट जीत के बाद ही वह पद से हटे। यहां भी अगर भारत जीतता है तो बीसीसीआई उन्हें नया अनुबंध पेश कर सकता है।’

विश्व कप में भारत के अच्छे प्रदर्शन में द्रविड़ की दबाव झेलने की क्षमता का योगदान

भारतीय क्रिकेट टीम के विश्व कप में अपना अभियान शुरू करने से कुछ दिन पहले मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने यहां अपने कुछ पुराने दोस्तों से मुलाकात की जिससे कि तरोताजा हो सकें। द्रविड़ तनावमुक्त माहौल में रहे जो दबाव से निपटने की उनकी योजना थी। यह इसलिए भी समझ में आता है क्योंकि द्रविड़ अगले लगभग एक महीने तक खुद को बाहरी दुनिया से दूर रखने वाले थे।

वह इस दौरान सिर्फ अनिवार्य प्रेस मीट, मैच के बाद पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान उपस्थिति और ऑटोग्राफ या सेल्फी के कुछ प्रशंसकों के अनुरोध को ही पूरा करने वाले थे। द्रविड़ जैसे व्यक्ति के लिए भी यह आसान जीवन नहीं है जिनका क्रिकेट से संपर्क दशकों, प्रारूपों और विभिन्न भूमिकाओं में फैला हुआ है।

हमने खिलाड़ियों के बड़े टूर्नामेंट से पहले बाहरी शोर से दूर रहने के महत्व के बारे में सुना है लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच का काम भी इससे कम दबाव वाला नहीं है। द्रविड़ आलोचना से अछूते नहीं हैं। अपने खेलने के दिनों में, बेंगलुरू के इस खिलाड़ी को वनडे में अपनी ‘धीमी बल्लेबाजी’ के कारण आलोचना झेलनी पड़ी।

जब वह कोच बने तो लोगों का ध्यान इस बात पर केंद्रित हो गया कि कैसे यह 50 वर्षीय पूर्व खिलाड़ी भारतीय टीम को खिताब नहीं दिला पा रहा। कुछ समय पहले ‘द्रविड़ को बर्खास्त’ करो सबसे ज्यादा ट्रेंड करने वाला हैशटैग था। मानसिक रूप से इन चीजों का सामना करना आसान नहीं होता लेकिन द्रविड़ अलग मिट्टी के बने हैं।

भारत और कर्नाटक के पूर्व बल्लेबाज सुजीत सोमसुंदर ने द्रविड़ को काफी लंबे समय तक करीब से देखा है और उन्हें लगता है कि इन सभी चीजों का उनके पुराने साथी पर कोई असर नहीं पड़ा होगा। सोमसुंदर ने कहा, ‘‘राहुल विभाजन करने में बहुत अच्छे हैं। वह जानते हैं कि कब गंभीर होना है और कब थोड़ा सहज रहना है।

इस क्षमता के बिना वह इतने महान क्रिकेटर नहीं होते जितने हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हां, वह एक ऐसा व्यक्ति है जो विषय की परवाह किए बिना हमेशा सार्थक बातचीत करना पसंद करता है जिससे दूसरे लोग उसे एक गंभीर व्यक्ति समझ सकते हैं।’’ पूर्व भारतीय कप्तान द्रविड़ 280 शब्दों में अपने ज्ञान का बखान करने वाले सोशल मीडिया पंडित नहीं हैं, अपनी नई कार या कुत्ते या छुट्टियों के बारे में इंस्टा रील नहीं बनाते और दुनिया के सामने अपनी राय बताने के लिए टीवी शो में दिखाई नहीं देते।

वह एक निजी व्यक्ति है जो कभी-कभी किसी धार्मिक उत्सव या किताब पढ़ने के सत्र में या अपने बच्चों को स्कूल छोड़ते समय तस्वीरें खिंचवाता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि द्रविड़ अंतर्मुखी हैं। सोमसुंदर ने कहा, ‘‘अगर कोई तेज आवाज में नहीं बोलता है तो वह अंतर्मुखी है या अगर कोई बहुत ज्यादा बोलता है तो हम उसे बातूनी व्यक्ति करार देते हैं।

यह महज धारणा है। द्रविड़ के मामले में भी ऐसा ही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हां, वह एक ऐसा व्यक्ति है जो अपने भीतर रहना पसंद करता है, शायद एक किताब के साथ। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह मौज-मस्ती नहीं कर रहा है। हर किसी के पास अपने जीवन में उस मौज-मस्ती को खोजने का अपना तरीका है, राहुल का अपना तरीका है।’’

राजस्थान रॉयल्स में राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में खेलने वाले स्वप्निल असनोदकर ने इसकी पुष्टि की। असनोदकर ने कहा, ‘‘वह बाहरी लोगों के लिए बहुत गंभीर व्यक्ति के रूप में सामने आ सकते हैं लेकिन वह ड्रेसिंग रूम में आपको असहज महसूस नहीं कराते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करते हैं। उनके पास सभी के लिए समय है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप फ्रेंचाइजी के मालिक हैं या मैदान पर दिहाड़ी मजदूर हैं। एक कप्तान या कोच के रूप में, वह दबाव को आप पर हावी नहीं होने देंगे।’’

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