मसूद अजहर के वैश्विक आतंकी घोषित होने पर भारतीय राजदूत अकबरुद्दीन ने क्यों दिया एमएस धोनी का उदाहरण, जानिए

Syed Akbaruddin: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने मसूद अजहर को वैश्विक आंतकी घोषित किए जाने के बाद दिया एमएस धोनी का उदाहरण, जानिए वजह

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: May 2, 2019 11:27 IST

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने बुधवार (1 मई) को पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है। 

भारत 2009 से ही मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की कोशिशें कर रहा था, लेकिन पाकिस्तान के मित्र राष्ट्र चीन की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के इस प्रस्ताव के खिलाफ हर बार वीटो करके अड़ंगा लगाया जाता रहा। 

भारतीय राजदूत अकबरुद्दीन ने दिया धोनी का उदाहरण

संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि सैदय अकबरुद्दीन ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित होने के बाद ट्वीट किया, 'मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आंतकी घोषित किया गया। आप सभी के समर्थन के लिए आभार। इसमें बड़े-छोटे सभी साथ आए।'

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 'इस कामयाबी की वजह के बारे में अकबरुद्दीन ने कहा, '21 फरवरी की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  (यूएनएससी) का (पुलवामा हमले) निंदा बयान प्रमुख था। इसने दिखाया कि इस मुद्दे पर परिषद में आम सहमति संभव थी।'

मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए भारत के 10 साल लंबे इंतजार के बावजूद हार न मानने पर अकबरुद्दीन ने अपने धैर्य के लिए चर्चित और भारत को दो क्रिकेट वर्ल्ड कप जिताने वाले एमएस धोनी का जिक्र किया। 

2016 और 2017 में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की असफलता देख चुके अकबरुद्दीन ने अब आखिरकार 2019 में मिली इस कामयाबी के बारे में कहा, 'मैं एमएस धोनी के दृष्टिकोण में यकीन करता हूं...ये सोचते हुए कि किसी लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश के दौरान आप जितना सोचते हैं उससे कहीं ज्यादा वक्त होता है। कभी मत कहिए समय खत्म हो गया, कभी भी जल्द हार मत मानिए।'

चीन की कोशिशों को भारत ने ऐसे दी मात

भारत ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की सबसे हालिया कोशिश, इस साल 14 फरवरी को जैश द्वारा पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आत्मघाती हमले के बाद की गई, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। 

इन हमलों के बाद 27 फरवरी 2019 को भारत के प्रस्ताव के समर्थन में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ने संयुक्त रूप से सहमति जताते हुए अजहर पर प्रतिबंध का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन पिछले दस सालों में चौथी बार चीन ने इस प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया। लेकिन इस बार भारत को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेश जैसे देशों का मजबूत समर्थन प्राप्ता था और चीन को वैश्विक दवाब के आगे झुकना पड़ा।

चीन लोकसभा चुनावों के बाद तक टालना चाहता था मसूद अजहर की डेडलाइन

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन मसूद अजहर को वैश्विक आंतकी घोषित करने की प्रक्रिया को लोकसभा चुनावों के बाद तक के लिए टालना चाहता था। लेकिन अमेरिका ने इसके लिए 30 अप्रैल की डेडलाइन तय कर दी थी। चीन ने पहले इसे लोकसभा चुनाकों के बाद और फिर 6 मई तक टालने की कोशिश की, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद चीन इस डेडलाइन को आगे बढ़ाने में नाकाम रहा और अमेरिका से इस मामले में कोई छूट न मिलने के बाद आखिरकार उसे  1 मई को इस पर सहमति जतानी पड़ी।

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