तालिबान की दहशत के बीच राशिद खान ने विश्व के नेताओं से की भावुक गुहार, कहा- हमें इस अराजकता में मत छोड़िए

तालिबान के आतंक की मार झेल रहा अफगानिस्तान में बेहद खराब हालात है । ऐसे में क्रिकेटर राशिद खान ने विश्व नेताओं से इस परिस्थिति में अफगानिस्तान को अकेला न छोड़ने की गुहार लगाई है ।

By दीप्ती कुमारी | Updated: August 11, 2021 13:46 IST2021-08-11T13:42:49+5:302021-08-11T13:46:16+5:30

Dont leave in chaos cricketer rashid khans appeal to the world leaders as violence escalates in afghanistan taliban | तालिबान की दहशत के बीच राशिद खान ने विश्व के नेताओं से की भावुक गुहार, कहा- हमें इस अराजकता में मत छोड़िए

फोटो - राशिद खान

Highlightsअफगानिस्तान में तालिबान के आतंक से लोग परेशानक्रिकेटर राशिद खान ने विश्व नेताओं से लगाई गुहार राशिद ने कहा - हमें इस अराजकता में मत छोड़िए

काबुल :  तालिबान ने अफगानिस्तान में तबाही मचा रखी है । अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से से तालिबान ने कब्जा कर रखा है और लोगों को भागने पर मजबूर कर रहे है । ऐसे में क्रिकेटर राशिद खान ने विश्व नेताओं से मदद की अपील की है और लोगों को ऐसी अराजकता में न छोड़ने की गुहार लगाई । 

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'प्रिय विश्व नेताओं ! मेरा देश अराजकता में है । बच्चों और महिलाओं सहित हजारों लोग रोज शहीद हो रहे हैं , घर और संपत्ति नष्ट की जा रही है । हजारों परिवार विस्थापित हो रहे हैं । कृपया हमें इस अराजकता में मत छोड़िए । अफगानिस्तान और अफगान को बर्बाद करना बंद करो । हमें शांति चाहिए । '

यूरोपीय संघ के एक अधिकारी के अनुसार,विदेशी ताकतों के हटने के बाद विद्रोहियों का अब देश के 65% हिस्से पर नियंत्रण है । देश की बढ़ती हिंसा के बीच स्टार लेग स्पिनर राशिद खान ने मंगलवार को ट्विटर पर शांति की अपील की । उन्होंने विश्व नेताओं से अनुरोध किया कि वह अपने अफगानिस्तानियों को अराजकता में ना छोड़े । 

तालिबान लड़ाके अफगानिस्तान में कब्जे वाले इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं और वहां के नागरिक अपने घरों में बंद होने को मजबूर  हैं । तालिबान और सरकारी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इस्लामाबादियों ने हाल ही के दिनों में उत्तर,पश्चिम और दक्षिण में छह प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है । 

सैकड़ों विस्थापित अफगान नागरिक राजधानी में शरण लेने के बाद भीषण परिस्थितियों से गुजर रहे हैं । यह लोग काबुल में बसने आए हैं और सड़कों,पार्कों में रहने को मजबूर है जबकि इनमें से कई नाबालिग,बुजुर्ग और परिवार के सदस्य को परिवार के लिए दो वक्त की रोटी कमाने वाले पिता, बेटे, पति और भाई के बारे में कोई खबर नहीं है । अफगानिस्तान आतंक की विभीषिका से त्रस्त है । 
 

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