बंगाल में भाजपा को, मुख्यमंत्री का चेहरा न होना परेशान कर सकता हैः किताब

By भाषा | Updated: January 31, 2021 17:06 IST

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नयी दिल्ली, 31 जनवरी इस साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब उसके पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं होना है।

एक किताब में दावा किया गया है कि भगवा दल के पास ऐसा कोई नेता नहीं है जिसकी लोकप्रियता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसी हो।

पत्रकार संबित पाल, अपनी किताब " द बंगाल कनन्ड्रमः द राइज ऑफ बीजेपी एंड फ्यूचर ऑफ टीएमसी" में लिखते हैं कि भाजपा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना चुनावी समर में उतरी थी और उसे सफलता भी मिली थी, क्या यह बंगाल में मुमकिन है?

पश्चिम बंगाल उथल पुथल के दौर से गुजर रहा है। प्रदेश में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से लेकर कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव तक पर विवाद है। ऐसे समय में इस साल अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा अपनी-अपनी रणनीतियां बनाने और उनमें अमल करने में जुटे हुए हैं।

पाल ने कहा, " 2021 के विधानसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा की सबसे बड़ी परेशानी मुख्यमंत्री का चेहरा होगा। इसे लेकर पहले से ही अंदरूनी कलह चल रही है।"

उन्होंने पुस्तक में लिखा, " भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली, राज्यसभा के सदस्य एवं पत्रकार स्वपन दासगुप्ता और यहां तक कि रामकृष्ण मिशन के साधु, स्वामी कृपाकरानंद का नाम भी मीडिया की खबरों में आ चुका है। त्रिपुरा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व प्रदेश भाजपा प्रमुख तथागत रॉय ने भी खुले तौर पर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने की इच्छा जताई है।"

भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए किसी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं करेगी और विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री के चेहरे को सामने रखे बिना लड़ेगी।

लेखक ने कहा, " बंगाल में भाजपा के पास ऐसा कोई नेता नहीं है जिसकी लोकप्रियता ममता बनर्जी जैसी हो। टीएमसी जानती है कि यह उसके लिए फायदेमंद है।"

" ब्लूम्सबरी इंडिया" की ओर से प्रकाशित किताब में पाल लिखते हैं, " भाजपा, टीएमसी के भ्रष्टाचार, सिंडिकेट राज, भतीजा-राज (अभिषेक बनर्जी को निशाना बनाने के लिए), मुस्लिम तुष्टिकरण और ममता द्वारा एनआरसी सीएए का विरोध करने का मुद्दा उठाने की तैयारी में हैं जबकि ममता बनर्जी अपनी लौहा लेने वाली छवि और बंगाली भावना पर निर्भर कर रही हैं।"

लोकसभा के 2019 के चुनाव में बंगाल में भाजपा की सीटें दो से बढ़कर 18 हो गई हैं और उसका मत प्रतिशत 17 फीसदी से बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया है। यह इजाफा महज़ चार साल में हुआ है।

टीएमसी के सांसदों एवं विधायकों समेत कई नेताओं ने हाल में भाजपा का दामन थामा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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