व्हाट्सएप्प ने भारत के लिए नियुक्त किया प्रमुख अधिकारी, सरकारी दबाव लाया रंग, अभिजीत बोस को दी जिम्मेदारी
By संतोष ठाकुर | Published: November 22, 2018 08:18 AM2018-11-22T08:18:08+5:302018-11-22T08:18:08+5:30
नई दिल्ली, 22 नवंबर: केंद्र सरकार की ओर से फर्जी संदेशों पर रोक लगाने के लिए सोशल मीडिया कंपनी व्हाट्सएप्प पर बनाया गया दबाव रंग लाता नजर आ रहा है. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फर्जी संदेशों पर रोक लगाने की मांग करते हुए व्हाट्सएप्प को दो-टूक कहा था कि इससे जुड़ी शिकायतों के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करें, जिसे भारत से संबंधित शिकायत दी जा सके और वह भारत में रहता हो.
सरकार के इस कड़े रुख के बाद व्हाट्सएप्प ने अभिजीत बोस को 'भारत प्रमुख' पद पर नियुक्त किया है. वह गुरुग्राम से अपना कामकाज देखेंगे. इससे पहले, व्हाट्सएप्प ने भारत के लिए शिकायत अधिकारी की भी नियुक्ति की थी. अभिजीत बोस संभवत: अगले वर्ष की शुरुआत में कामकाज संभालेंगे. बोस 'इजीटेप' के सह-संस्थापक हैं. यह वर्ष 2011 में बनाई गई इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट कंपनी है.
पहली बार किसी देश में प्रमुख की तैनाती यह पहली बार होगा, जब व्हाट्सएप्प ने कैलिफोर्निया स्थित अपने मुख्यालय के बाहर किसी देश से संबंधित प्रमुख को तैनात किया है. व्हाट्सएप्प ने कहा कि बोस और उनकी टीम न केवल कंपनी का कारोबार विस्तार देखेगी, बल्किउनपर ग्राहकों से सीधे संवाद की जिम्मेदारी भी होगी. कंपनी भारत के साथ साझेदारी बढ़ाना चाहती है और आने वाले दिनों में भारत से संबंधित कई तरह के नए उत्पाद सामने आएंगे.
बहानेबाजी नहीं चलेगी: सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ''जब कोई संदेश व्हाट्सएप्प प्लेटफॉर्म पर आता है तो कंपनी को पता होता है कि वह पहली बार किस नंबर से प्रसारित हुआ. संभव है कि व्हाट्सएप्प को इसके लिए नए टूल बनाने पड़ें, जिससे ऐसे व्यक्ति या नंबर की पहचान हो. हम समय देने को तैयार हैं. लेकिन व्हाट्सएप्प निजता के कानूनों की बात कर इस जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता. यह केवल बहाना है.''
भारत है बड़ा बाजार: व्हाट्सएप्प द्वारा केंद्र सरकार की सभी मांगें स्वीकार करने की बड़ी वजह यह है कि भारत उसके लिए बड़ा बाजार है. यहां हर तीसरे स्मार्टफोनधारक के फोन में व्हाट्सएप्प है. इसके चलते देश की एक तिहाई से अधिक आबादी तक कंपनी की सीधी पहुंच है. ऐसे में कंपनी नहीं चाहती कि सरकार से टकराव हो और उसके बाजार पर आंच आए.