नई दिल्लीः लंदन स्थित एक विश्वविद्यालय के नए अध्ययन से पता चला है कि 97 प्रतिशत भारतीय छात्र ऐसी शिक्षा चाहते हैं जो उन्हें करियर बनाने में मदद करे तथा उनका मानना है कि विदेश में अध्ययन करने के लिए रोजगार, कार्य अनुभव और कौशल आवश्यक हैं। सिटी सेंट जॉर्ज, लंदन विश्वविद्यालय द्वारा कराये गए तथा अर्लिंग्टन रिसर्च द्वारा किये गए अध्ययन में पाया गया है कि भारत के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा का मूल्य व्याख्यानों और पाठ्यपुस्तकों से कहीं अधिक है। 'विदेश में अध्ययन का महत्व' रिपोर्ट के अनुसार, 97 प्रतिशत भारतीय छात्रों का कहना है कि विदेश में अध्ययन के लिए स्थान चुनते समय रोजगार के लिए आवश्यक अर्हता, कार्य अनुभव और कौशल आवश्यक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, "भारतीय छात्र अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा से जो अपेक्षाएं रखते हैं।
उनमें एक ज़बरदस्त बदलाव आया है और यह कक्षा में मिलने वाली शिक्षा से कहीं आगे तक जाता है। सर्वेक्षण में शामिल सभी देशों में भारतीय छात्र व्यावहारिक शिक्षा, तकनीकी कौशल और पेशेवर व्यवहार को अपने शैक्षिक अनुभव के मुख्य अंग के रूप में सबसे ज़्यादा महत्व देते हैं।"
सिटी सेंट जॉर्ज, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में रोजगार संबंधी विभाग की निदेशक जेम्मा केन्यन के अनुसार, भारतीय छात्र इस बात पर अधिक ध्यान दे रहे हैं कि शिक्षा क्या प्रदान करे। केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि कौशल, आत्मविश्वास और नेटवर्क जो वास्तविक करियर की सफलता की ओर ले जाएं।
केन्यन ने कहा, "यह अध्ययन इस बात को रेखांकित करता है कि विश्वविद्यालयों के लिए ऐसे कार्यक्रम तैयार करना कितना महत्वपूर्ण है, जो अकादमिक उत्कृष्टता को व्यावहारिक अनुभव के साथ जोड़ते हों।" दुनियाभर में 56 प्रतिशत छात्रों ने रोजगार के अवसरों को अपने शीर्ष तीन निर्णय कारकों में शामिल किया।
यह आंकड़ा 87 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, जब सिर्फ सबसे महत्वपूर्ण कारकों पर ध्यान दिया जाता है। छात्रों और अभिभावकों सहित 3,000 प्रतिभागियों के बीच किए गए वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार, सभी सर्वेक्षणों में भारतीय छात्र व्यावहारिक शिक्षा और नौकरी के अवसर पर सबसे अधिक जोर देते हैं।