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नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल करने में उत्तर प्रदेश पीछेः रिपोर्ट

By भाषा | Updated: December 17, 2021 16:01 IST

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नयी दिल्ली, 17 दिसंबर नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के मामले में उत्तर प्रदेश बिजली की अधिक मांग वाले अन्य राज्यों से काफी पीछे है और उसे स्थिति सुधारने के लिए फौरन कदम उठाने की जरूरत है।

ऊर्जा अर्थशास्त्र एवं वित्तीय विश्लेषण संस्थान (आईईईएफए) और ऊर्जा क्षेत्र के विचार समूह एम्बर की संयुक्त रूप से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश को नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे।

इसके मुताबिक, उत्तर प्रदेश अपने समकक्ष राज्यों की तुलना में सौर ऊर्जा लक्ष्य को हासिल करने में काफी पीछे है। उत्तर प्रदेश का वर्ष 2022 तक 10,700 मेगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है।

रिपोर्ट कहती है कि देश में सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य को अपना प्रदर्शन सुधारने के साथ ही वर्ष 2022 तक 1,75,000 मेगावॉट सौर बिजली उत्पादन के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी फौरन कदम उठाने होंगे। भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन की क्षमता 5,00,000 मेगावॉट पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

अक्टूबर 2021 तक उत्तर प्रदेश की कुल नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 4,300 मेगावॉट थी जो कि उसके नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को लेकर 2022 के लिए निर्धारित लक्ष्य 14,100 मेगावॉट का सिर्फ 30 प्रतिशत ही है।

बिजली की अधिक मांग वाले अन्य राज्यों का प्रदर्शन कहीं बेहतर है। राजस्थान ने अपने 2022 के लक्ष्य का 86 प्रतिशत पूरा कर लिया है और गुजरात भी 85 प्रतिशत क्षमता स्थापित कर चुका है। वहीं तमिलनाडु 72 प्रतिशत, महाराष्ट्र 47 प्रतिशत और मध्य प्रदेश 45 प्रतिशत क्षमता को हासिल कर चुके हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश 2022 के अपने सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता लक्ष्य 10,700 मेगावॉट से पीछे है। अबतक केवल लगभग 2,000 मेगावाट यानी लक्ष्य का 19 प्रतिशत ही हासिल किया जा सका है।

इस रिपोर्ट के सह-लेखक एवं एम्बर के वरिष्ठ बिजली नीति विश्लेषक आदित्य लोला कहते हैं, "उत्तर प्रदेश को अपने सौर ऊर्जा लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी।" यह इसलिए भी जरूरी है कि देश में बिजली की कुल मांग का दसवां हिस्सा अकेले उत्तर प्रदेश का ही है। बीते एक दशक में इसकी बिजली मांग करीब दो-तिहाई बढ़ी है।

रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले आईईईएफए के ऊर्जा वित्त विश्लेषक कशिश शाह कहते हैं, "उत्तर प्रदेश भविष्य में पैदा होने वाली बिजली मांग को पूरा करने के विकल्पों को लेकर दोराहे पर है। वैसे भी अब कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों की स्थापना व्यवहारिक नहीं रह गई है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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