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4000 लोगों को रोजगार, बनेंगे चार डाटा सेंटर पार्क, 15950 करोड़ रुपये होंगे निवेश, जानें क्या है पूरा मामला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 28, 2022 18:48 IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में डाटा सेंटर नीति 2021 के तहत विभिन्न निवेशकों द्वारा 15,950 करोड़ से अधिक के निवेश से चार डाटा सेंटर पार्क स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

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ठळक मुद्देलगभग 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।वित्तीय एवं गैर-वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाने की सिफारिश को मंत्रिपरिषद ने स्वीकृति दे दी है। महत्वपूर्ण निर्णय में प्रदेश को विमान मरम्मत का केंद्र बनाने का भी फैसला लिया गया।

लखनऊः उत्तर प्रदेश में 15,950 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से चार डाटा सेंटर पार्क स्थापित किए जाएंगे। राज्य मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को इसके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में डाटा सेंटर नीति 2021 के तहत विभिन्न निवेशकों द्वारा 15,950 करोड़ से अधिक के निवेश से चार डाटा सेंटर पार्क स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इससे लगभग 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

उन्होंने बताया कि इसके तहत एनआईडीपी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को गैर-वित्तीय प्रोत्साहन तथा तीन अन्य निवेशकों अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड परियोजना-1 तथा अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड परियोजना-2 और एनटीटी ग्लोबल डाटा सेंटर्स एंड क्लाउड इन्फ्राट्रक्चर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को वित्तीय एवं गैर-वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाने की सिफारिश को मंत्रिपरिषद ने स्वीकृति दे दी है।

प्रवक्ता ने बताया कि डाटा सेंटर नीति के तहत डाटा सेंटर पार्क और इकाइयों को पूंजी सब्सिडी, ब्याज सब्सिडी, जमीन की खरीद अथवा पट्टे पर स्टाम्प शुल्क में छूट और ऊर्जा से संबंधित वित्तीय प्रोत्साहनों के अलावा अन्य विभिन्न गैर-वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाते हैं। बैठक में लिये गये एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में प्रदेश को विमान मरम्मत का केंद्र बनाने का भी फैसला लिया गया।

इसके तहत मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में विमानों के अनुरक्षण मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधाओं के विकास के संबंध में नीति को मंजूरी दे दी। मौजूदा वक्त में भारत में एमआरओ की स्थापना नहीं होने की वजह से विमानों को मरम्मत के लिए सिंगापुर और दुबई जैसे स्थानों पर भेजा जाता है, जहां पर हवाई जहाजों की मरम्मत में काफी खर्च होता है, वहीं समय भी ज्यादा लगता है। प्रदेश में एमआरओ की स्थापना होने सरकार को राजस्व मिलने के साथ-साथ बड़ी संख्या में रोजगार भी उत्पन्न होंगे। 

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