उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडलः परिवार को बड़ी राहत, दस्तावेजों पर लगने वाले स्टाम्प और पंजीकरण शुल्क की सीमा 5000 रुपये तय
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 2, 2025 17:27 IST2025-09-02T16:58:40+5:302025-09-02T17:27:58+5:30
Uttar Pradesh Cabinet: तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पहले से ही इसी तरह की व्यवस्थाएं लागू हैं।

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लखनऊः उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने परिवारों को बड़ी राहत देते हुए संपत्ति के बंटवारे में दस्तावेजों पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क की सीमा पांच हजार रुपये तय करने को मंगलवार को मंजूरी दे दी। राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि अब तक संपत्ति के बंटवारे पर संपत्ति के मूल्य पर चार प्रतिशत स्टाम्प शुल्क और एक फीसद पंजीकरण शुल्क लगाया जाता था, जिसकी वजह से परिवार संपत्ति के दस्तावेज दर्ज कराने से हतोत्साहित होते थे और दीवानी व राजस्व अदालतों में विवाद बढ़ते थे।
STORY | UP cabinet caps stamp duty and registration fees on family property division
— Press Trust of India (@PTI_News) September 2, 2025
In a major relief for families, the Uttar Pradesh Cabinet on Tuesday approved a cap of Rs 5,000 on stamp duty and registration fees for partition deeds in property division.
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बयान में कहा गया है कि इस नए प्रावधान से मुकदमेबाजी कम होने, सौहार्दपूर्ण समाधान होने, भूमि और राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट करने और बाजार में संपत्तियों की उपलब्धता आसान होने की उम्मीद है। बयान में कहा गया, "हालांकि इस बदलाव से शुरुआत में स्टाम्प शुल्क में 5.58 करोड़ रुपये और पंजीकरण शुल्क में 80.67 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता।
लेकिन सरकार को उम्मीद है कि पंजीकरण की बढ़ती संख्या इस नुकसान की भरपाई करेगी और समय के साथ राजस्व में वृद्धि होगी।” बयान में कहा गया है, "तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पहले से ही इसी तरह की व्यवस्थाएं लागू हैं।"
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति को मंजूरी दी
उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को डिस्प्ले एवं कैमरा मॉड्यूल जैसे 11 प्रमुख कलपुर्जों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये के निवेश लक्ष्य के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में उप्र ईसीएमपी-2025 को मंजूरी दी गई।
उत्तर प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने के उद्देश्य से यह फैसला किया गया। सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि उप्र ईसीएमपी-2025 के तहत अगले छह वर्षों तक राज्य में डिस्प्ले, कैमरा मॉड्यूल, मल्टीलेयर पीसीबी जैसे 11 महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक घटकों के विनिर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा।
राज्य सरकार की इस नीति से 5,000 करोड़ रुपये के निवेश और लाखों रोजगार के अवसर सृजित होंगे। उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना (ईसीएमएस) के अनुरूप उप्र ईसीएमपी-2025 को लागू करने का फैसला किया है जो एक अप्रैल, 2025 से छह वर्षों तक प्रभावी रहेगी।
इस नीति के तहत उद्यमियों को केंद्रीय योजना के समान अतिरिक्त प्रोत्साहन दिए जाएंगे, जिससे उत्तर प्रदेश का मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक्स परिदृश्य एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरेगा। इस नीति का क्रियान्वयन शासन स्तर पर गठित नीति कार्यान्वयन इकाई और सशक्त समिति की देखरेख में नोडल संस्था द्वारा किया जाएगा।
राज्य के प्रमुख सचिव अनुराग यादव ने एक आधिकारिक बयान में कहा, "पिछले आठ वर्षों में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। 2015 में जहां केवल दो इकाइयां मोबाइल फोन बनाती थीं, वहीं आज 300 इकाइयां ये काम कर रही हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का उत्पादन 1.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर आज 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।
मोबाइल फोन का निर्यात 1,500 करोड़ रुपये से बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।" यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश इस क्रांति का केंद्र बन चुका है, जहां देश के आधे से ज्यादा मोबाइल फोन का उत्पादन होता है। यह नीति यूपी को आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी और इसके साथ युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगी।
बयान के मुताबिक, इस नीति के तहत 5,000 करोड़ रुपये का अनुमानित व्यय होगा, जिससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार के लाखों अवसर सृजित होंगे। यह कदम उत्तर प्रदेश को निवेश का पसंदीदा गंतव्य बनाने और औद्योगिक वृद्धि को तेज करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।