देश में शहरों में मकानों की कमी 2018 में 54 प्रतिशत बढ़कर 2.9 करोड़ पहुंची: रिपोर्ट

By भाषा | Updated: December 23, 2020 18:55 IST2020-12-23T18:55:09+5:302020-12-23T18:55:09+5:30

The shortage of houses in cities in the country increased by 54 percent to 2.9 crore in 2018: report | देश में शहरों में मकानों की कमी 2018 में 54 प्रतिशत बढ़कर 2.9 करोड़ पहुंची: रिपोर्ट

देश में शहरों में मकानों की कमी 2018 में 54 प्रतिशत बढ़कर 2.9 करोड़ पहुंची: रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर देश में शहरी क्षेत्रों में मकानों की कमी 2018 में 54 प्रतिशत बढ़कर 2.9 करोड़ पहुंच गयी जो 2012 में 1.878 करोड़ थी। एक शोध पत्र में यह कहा गया है।

‘भारत के निम्न आय वाले शहरी परिवार: मांग परिदृश्य’ शीर्षक से जारी इक्रियर की रिपोर्ट के अनुसार मकान का ‘फ्लोर एरिया’ (जितने जगह में मकान बना है) 2018 में घटकर प्रति व्यक्ति के हिसाब से 86 वर्ग फुट पर आ गया जो 2012 में 111 वर्ग फुट था। इसका कारण परिवार में सदस्यों की संख्या का धीरे-धीरे बढ़ना है। यह घरों में रह रहे अधिक लोगों और भीड़-भाड़ की समस्या के समाधान की तत्काल जरूरत को रेखांकित करता है।

‘इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल एकोनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) ने कहा, ‘‘लोगों की संख्या के हिसाब से उचित मकान की कमी के आधार पर वर्ष 2018 में, शहरी आवास की कमी 2.9 करोड़ थी, जो 2012 की तुलना में 54 प्रतिशत अधिक है। मुख्य रूप से उचित आवास नहीं होने का कारण अधिक लोगों की संख्या का होना है।’’

शोध पत्र में कहा गया है कि जिन लोगों के पास मकान नहीं है, उपयुक्त प्रकार के मकान में नहीं रहने तथा झुग्गियों में रहने वाले परिवारों पर गौर करने पर, उपयुक्त मकानों की संख्या की कमी 2018 में 4.73 करोड़ बैठती है। यह शहरी परिवार का 41 प्रतिशत के करीब है।

इसमें कहा गया है, ‘‘ऐसे मकान जहां अधिक संख्या में लोग रह रहे हैं और वहां उससे निपटने के लिये अतिरिक्त कमरे बनाने की संभावना नहीं है, अधिकतम शहरी आवास की कमी या नये मकान अथवा मौजूदा आवासों को ठीक करने के आधार पर संख्या 2018 में करीब 5 करोड़ थी।’’

रिपोर्ट में इसे स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि ईडब्ल्यू एस-1 यानी गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) परिवार की श्रेणी में 40.6 प्रतिशत शहरी मकानों की कमी है। वहीं ईडब्ल्यूएस-2 यानी गैर-बीपीएल श्रेणी जहां मासिक आय 25,000 रुपये या उससे कम है, 56.8 प्रतिशत की कमी है।

इसके अनुसार निम्न आय समूह (एलआईजी) श्रेणी जहां आय 25,000 रुपये से अधिक लेकिन 50,000 रुपये से कम है, मकानों की कमी 2.6 प्रतिशत है। वहीं मध्यम आय वर्ग और उच्च आय की श्रेणी में यह कमी केवल 0.04 प्रतिशत है।

पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि एकल आवासीय नीति निम्न आय वाले परिवारों के लिये बेहतर आवास समाधान उपाय नहीं है।

इसमें कहा गया है हाल में प्रवासी मजदूरों के लिये सस्ते किराये के मकान परिसर की घोषणा के अनुरूप सामाजिक किराया आवास योजना इसका समाधान हो सकता है। इस प्रकार की व्यवस्था में ईडब्ल्यूएस और एलआईजी परिवार के लिये इकाइयों की विशिष्ट संख्या आरक्षित की जा सकती है।

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Web Title: The shortage of houses in cities in the country increased by 54 percent to 2.9 crore in 2018: report

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