न्यायालय ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के अनुरोध वाली कंपनी की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

By भाषा | Updated: March 10, 2021 21:48 IST2021-03-10T21:48:28+5:302021-03-10T21:48:28+5:30

The court refused to hear the petition of the company requesting the removal of the protesters | न्यायालय ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के अनुरोध वाली कंपनी की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

न्यायालय ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के अनुरोध वाली कंपनी की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

नयी दिल्ली, 10 मार्च उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कथित रूप से प्रदर्शनकारी के रूप में अराजक तत्वों को हटाने के अनुरोध वाली पंजाब की एक कंपनी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। कंपनी के अनुसार प्रदर्शनकारी के रूप में इन अराजक तत्वों ने विवादास्पद कृषि कानून के विरोध के नाम पर उसके गोदामों को कब्जे में ले लिया है।

कंपनी का दावा है कि उसके गोदाम का उपयोग तीन कंपनियां...अडाणी विलमर लि., कैपिटल फूड्स प्राइवेट लि. और टेक्नोवा इमेजिंग सिस्टम प्राइवेट लि....नियंत्रित तापमान में अपने साामन रखने के लिये करती हैं। वह 19 फरवरी से अपने इन गोदामों में पहुंच पाने में असमर्थ है।

न्यायाधीश यू यू लिलित और न्यायाधीश के एम जोसेफ की पीठ ने कंपनी से अपनी याचिका वापस लेने और राहत के लिये पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में जाने को कहा। साथ ही कंपनी को अपनी याचिका में संशोधन करने तथा प्रदर्शन कर रहे संगठन/समूह को पक्ष के रूप में शामिल करने की अनुमति दी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर याचिका तीन दिन के भीतर उच्च न्यायालय में दायर की जाती है, उस पर यथाशीघ्र विचार किया जाना चाहिए।

पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कंपनी एसएम लॉजिस्टिक्स एंड वेयरहाउसिंग कंपनी प्राइवेट लि. की तरफ से पेश अधिवक्ता सिद्धार्थ बत्रा से पूछा कि कैसे एक कॉरपोरेट इकाई मौलिक अधिकार लागू करने का आग्रह कर सकती है।

न्यायालय ने कहा कि कंपनी में पदों पर बैठे या विवादित स्थल पर प्रदर्शनकारियों को याचिका में पक्ष नहीं बनाया गया है।

इस पर अधिवक्ता ने कहा, ‘‘हमें नहीं पता कि वे कौन लोग हैं। वे बदलते रहते हैं। वे सही मायने में प्रदर्शनकारी नहीं बल्कि गलत लोग हैं। मेरे मुवक्किल ने उनसे बातचीत करने की कोशिश की लेकिन वे हटने को तैयार नहीं हुए। वे हमें हमारी संपत्ति तक पहुंचने नहीं दे रहे।’’

इस पर पीठ ने कहा कि ऐसे में वह प्रदर्शनकारियों का पक्ष सुने बिना कैसे आदेश दे सकता है। न्यायालय ने बत्रा से पूछा कि क्या उन्होंने इस बारे में जिला प्रशासन को कोई पत्र या ज्ञापन सौंपा है।

इस पर अधिवक्ता ने कहा कि प्रशासन को कई ज्ञापन दिये गये, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।

पीठ ने कहा कि कंपनी ने जो याचिका दायर की है, उससे लगता है कि उसे पता है कि विरोध प्रदर्शन करने वाले कौन है क्योंकि भारतीय किसान यूनियन का जिक्र है। अत: यह बेहतर होगा कि उन्हें पक्ष बनाया जाए।

न्यायालय ने कहा, ‘‘आप नाम पता कर सकते हैं और उनके नाम डालिये। बिना पक्ष के आदेश हवा में देने जैसा होगा।’’

पीठ ने कहा कि यह बेहतर होगा कि अगर याचिका को संशोधन किया जाए और पंजाब तथा हरियाणा उच्च न्यायालय से संपर्क किया जाए।

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Web Title: The court refused to hear the petition of the company requesting the removal of the protesters

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