न्यायालय ने मिस्त्री को टाटा समूह का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के एनसीएलएटी के आदेश को रद्द किया

By भाषा | Updated: March 26, 2021 15:20 IST2021-03-26T15:20:28+5:302021-03-26T15:20:28+5:30

The court quashed NCLAT's order to make Mistry the acting chairman of the Tata group. | न्यायालय ने मिस्त्री को टाटा समूह का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के एनसीएलएटी के आदेश को रद्द किया

न्यायालय ने मिस्त्री को टाटा समूह का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के एनसीएलएटी के आदेश को रद्द किया

नयी दिल्ली, 26 मार्च उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एनसीएलएटी के 18 दिसम्बर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को ‘टाटा समूह’ का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने टाटा समूह की अपील को सही पाया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 18 दिसंबर 2019 के आदेश को रद्द किया जाता है।’’

टाटा संस प्राइवेट लिमिटे़ड और साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले के खिलाफ क्रॉस अपील दायर की थी, जिसपर शीर्ष न्यायालय का फैसला आया है।

आदेश में आगे कहा गया, ‘‘टाटा समूह की अपील को स्वीकार किया जाता है, और एसपी समूह की अपील खारिज की जाती है।’’

एनसीएलएटी ने अपने आदेश में 100 अरब डॉलर के टाटा समूह में साइरस मिस्त्री मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल कर दिया था।

शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह ने 17 दिसंबर को न्यायालय से कहा था कि अक्टूबर, 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना ‘खूनी खेल’ और ‘घात’ लगाकर किया गया हमला था। यह कंपनी संचालन के सिद्धान्तों के खिलाफ था।

वहीं टाटा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था।

टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने न्यायालय के फैसले को टाटा समूह की अखंडता और नैतिकता पर मुहर बताया और आभार जताया।

टाटा ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना करता हूं और मैं न्यायालय का आभारी हूं।’’

उन्होंने आगे लिखा, ‘‘यह हार और जीत का विषय नहीं है। मेरी ईमानदारी और समूह के नैतिक आचरण पर लगातार हमले किए गए। फैसले ने टाटा समूह के मूल्यों और नैतिकता पर मुहर लगाई है, जो हमेशा से समूह के मार्गदर्शक सिद्धान्त रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि इस फैसले ने न्यायपालिका की निष्पक्षता को और मजबूत किया है।’’

मिस्त्री को 24 अक्टूबर 2016 को टाटा संस के चेयरमैन पद से अचानक बिना कोई कारण बताए हटा दिया गया था। हालांकि, बाद में कुछ प्रेस बयानों में समूह ने दावा किया कि मिस्त्री अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे और उनकी निगरानी में टाटा संस को नुकसान हुआ।

दूसरी ओर मिस्त्री के अनुसार घाटे के आंकड़ों में समूह की भारी लाभ कमाने वाली कंपनी टीसीएस से मिलने वाले लाभांश को शामिल नहीं किया गया, जो औसतन सालाना 85 प्रतिशत से अधिक था।

प्रधान न्यायाधीश अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 25 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में बहाल किया गया था। मिस्त्री के परिवार की टाटा संस में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

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Web Title: The court quashed NCLAT's order to make Mistry the acting chairman of the Tata group.

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