अदालत ने इरडा से मानसिक बीमारी को अलग कर पॉलिसियां मंजूर करने की वजह स्पष्ट करने को कहा

By भाषा | Published: April 18, 2021 05:59 PM2021-04-18T17:59:35+5:302021-04-18T17:59:35+5:30

The court asked the IRDA to clarify the reason for accepting policies by separating mental illness. | अदालत ने इरडा से मानसिक बीमारी को अलग कर पॉलिसियां मंजूर करने की वजह स्पष्ट करने को कहा

अदालत ने इरडा से मानसिक बीमारी को अलग कर पॉलिसियां मंजूर करने की वजह स्पष्ट करने को कहा

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने बीमा नियामक इरडा से पूर्ण कवरेज से मानसिक बीमारी को अलग कर बीमा पॉलिसियों को मंजूर करने की वजह स्पष्ट करने को कहा है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 में यह स्पष्ट है कि शारीरिक और मानसिक बीमारी के बीच किसी तरह का भेद नहीं किया जा सकता और ऐसे में इसपर बीमा प्रदान किया जाना चाहिए।

अदालत ने भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) को यह आदेश एक व्यक्ति की उस याचिका पर दिया है जिसमें मानसिक बीमारी के इलाज की उसकी लागत को बीमा कंपनी मैक्स बुपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने सिर्फ 50,000 रुपये तक सीमित कर दिया था।

अदालत ने इरडा और मैक्स बुपा को इस बारे में दो सप्ताह में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। अदालत ने कहा कि इस तरह की बीमा पॉलिसी से बड़ी संख्या में बीमित व्यक्ति प्रभावित होंगे।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि वह 35 लाख रुपये की बीमित राशि पर प्रीमियम का नियमित भुगतान कर रहा था। लेकिन जब उसने अपने इलाज के लिए बीमा कंपनी से दावा किया तो यह जानकारी मिली कि मानसिक बीमारी में बीमित राशि सिर्फ 50,000 रुपये तक सीमित है।

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि मानसिक बीमारी से संबंधित सभी स्थितियों के लिए बीमित राशि सिर्फ 50,000 रुपये तक सीमित रखी गई है।

याचिका में कहा गया है कि इस तरह का अंकुश मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम-2017 के प्रावधानों के उलट है। इस मामले की अगली सुनवाई दो जून को होगी।

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Web Title: The court asked the IRDA to clarify the reason for accepting policies by separating mental illness.

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