जूट बैग मूल्य पर टैरिफ आयोग की रिपोर्ट की प्रति नहीं दी है कपड़ा मंत्रालय ने: आईजेएमए
By भाषा | Updated: June 18, 2021 23:40 IST2021-06-18T23:40:02+5:302021-06-18T23:40:02+5:30

जूट बैग मूल्य पर टैरिफ आयोग की रिपोर्ट की प्रति नहीं दी है कपड़ा मंत्रालय ने: आईजेएमए
कोलकाता, 18 जून जूट लॉबी के निकाय, भारतीय जूट मिल संघ (आईजेएमए) ने आरोप लगाया कि केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने शुल्क आयोग के जूट बैग कीमत पर हाल की रिपोर्ट की कोई प्रति उसे नहीं दी है।
आईजेएमए के लिए अपने विनिर्मित जूट बैगों के उचित मूल्य को तय करने के लिए टैरिफ आयोग की रिपोर्ट महत्वपूर्ण होती है।
केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह को लिखे पत्र में, व्यापार निकाय ने कहा, ‘‘आईजेएमए को रिपोर्ट की एक प्रति देने से इनकार करना प्राकृतिक न्याय और निष्पक्ष रवैये के सिद्धांतों का उल्लंघन है और यह न्याय के उपहास के अलावा कुछ नहीं है।’’
आईजेएमए के अधिकारियों ने कहा कि पूर्व में तत्कालीन सरकारों द्वारा टैरिफ आयोग की रिपोर्ट उन्हें उपलब्ध कराई गई थी।
आईजेएमए अपने निर्मित जूट बैगों के लिये उचित मूल्य की मांग को लेकर कपड़ा मंत्रालय के साथ लंबी लड़ाई लड़ रहा है। फिलहाल उद्योग निकाय सरकार को जूट के बोरे की आपूर्ति करके 3,000 रुपये प्रति टन का न्यूनतम नुकसान करने का दावा करती है और कीमत में संशोधन की मांग कर रही है।
उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2016 का अनंतिम मूल्य केवल छह महीने के लिए प्रभावी होना था। उन्होंने दावा किया कि पिछले पांच वर्षों में न तो कपड़ा मंत्रालय और न ही जूट आयुक्त कार्यालय ने पुराने जूट बैग की कीमत की गणना के लिए कोई कार्रवाई की।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय और राज्य की खाद्य खरीद एजेंसियां जूट के बोरे के थोक खरीदार (लगभग 85 प्रतिशत) हैं जिनका उपयोग चीनी के साथ खरीफ और रबी सत्र में अनाज रखने के लिए किया जाता है।
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