उच्चतम न्यायालय ने यस बैंक-डिश टीवी विवाद में आपराधिक कार्यवाह पर रोक लगायी
By भाषा | Updated: November 30, 2021 19:39 IST2021-11-30T19:39:38+5:302021-11-30T19:39:38+5:30

उच्चतम न्यायालय ने यस बैंक-डिश टीवी विवाद में आपराधिक कार्यवाह पर रोक लगायी
नयी दिल्ली, 30 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने एस्सेल समूह द्वारा यस बैंक के खिलाफ दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में आपराधिक कार्यवाही पर मंगलवार को रोक लगा दी। न्यायालय ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में बैठी पुलिस को किसी कंपनी के शेयरधारकों के मतदान के अधिकार पर रोक लगाने की मंजूरी नहीं दे सकता है।
उच्चतम न्यायालय की पीठ ने गौतम बुद्ध नगर पुलिस द्वारा शेयर बाजार और नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) को जारी दो नोटिस के कार्यान्वयन पर भी रोक लगा दी। पुलिस ने नोटिस में कहा था कि वह बैंक के पास मौजूद एस्सेल समूह के शेयरों के किसी भी हस्तांतरण की मंजूरी ना दे।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, “दीवानी कार्यवाही के परिणाम हासिल करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया का उपयोग करने का एक खतरनाक नतीजा होगा। कल कोई भी पुलिस अधिकारी को पकड़कर, शेयरधारक की वोटिंग पर रोक लगवा देगा। यह करना सबसे आसान होगा।"
पीठ ने कहा, "वह गौतम बुद्ध नगर में बैठी पुलिस को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध एक कंपनी के शेयरधारकों के वोटिंग अधिकार पर रोक लगाने की मंजूरी नहीं दे सकती। इस मामले में पुलिस ने कुछ ऐसा किया है जो कंपनी कानून न्यायाधिकरण नहीं करेगा।"
न्यायालय ने कहा कि वह देश में इस तरह की पुलिस कार्रवाई नहीं होने दे सकती और इसलिए संविधान का अनुच्छेद 226 एक बहुत ही महत्वपूर्ण अधिकार है जिसके तहत उच्च न्यायालय इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है।
पीठ ने कहा, "हम नहीं चाहते कि पुलिस को इस तरह का अधिकार दिया जाए, ऐसा होने पर वे कॉरपोरेट मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर देंगे। यह पुलिस अधिकारियों से आदेश प्राप्त कर न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी कर रही है। इसकी हम मंजूरी नहीं देंगे।"
शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षों से तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा।
उच्चतम न्यायालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 25 नवंबर के आदेश के खिलाफ यस बैंक द्वारा दायर एक अपील पर सुनवायी कर रहा था जिसमें सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) की धारा 102 और पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के तहत नोटिस को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
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