बजट में उर्वरक के संतुलित उपायोग के लिये कदम उठाने, अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाने का सुझाव
By भाषा | Updated: December 22, 2020 19:45 IST2020-12-22T19:45:12+5:302020-12-22T19:45:12+5:30

बजट में उर्वरक के संतुलित उपायोग के लिये कदम उठाने, अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाने का सुझाव
नयी दिल्ली, 22 दिसंबर भारत किसान समाज (बीकेएस) ने मंगलवार को कहा कि सरकार को आगामी बजट में यूरिया का दाम बढ़ाकर तथा पोटाश एव फास्फेट (पी एंड के) के मूल्य में कमी लाकर उर्वरक के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही कृषि से जुड़े अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये बजट पूर्व विचार-विमर्श में बीकेएस के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने डीजल पर कर कम करने तथा फल एवं सब्जियों पर परिवहन सिब्सडी की भी मांग की।
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई), पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) समेत अन्य संस्थानों के प्रतिनिधि भी बैठक में शामिल हुए।
बीकेएस ने कृषि क्षेत्र की वृद्धि और किसानों के कल्याण के लिये 15 सुझाव दिये। इसमें डीजल पर कर की दर में कटौती तथा अल्कोहल को जीएसटी व्यवस्था में शामिल करने का सुझाव शामिल हैं।
बीकेएस ने दिये गये सुझावों में कहा, ‘‘उर्वरक के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिये यूरिया के दाम बढ़ाये जाए, साथ ही पोटाश और फॉस्फेट के मूल्य में कमी की जाए। इससे किसानों या सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
सरकार यूरिया का दाम तय करती है। 50 किलो बोरी की अधिकतम खुदरा कीमत (एमआरपी) 268 रुपये प्रति बैग है। वहीं पोटाश और फॉस्फेट का मूल्य नियंत्रण मुक्त है, कंपनियां इसका एमआरपी तय करती हैं।
हालांकि पोटाश और फास्फेट के लिये पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत सब्सिडी की एक निश्चित राशि दी जाती है। यह उसमें उपलब्ध पोषक तत्व पर निर्भर करता है।
बीकेएस ने किसानों के लिये सूक्ष्म सिंचाई और सौर पंपों पर निवेश बढ़ाने पर भी जोर दिया। साथ ही मृदा में नमी के आकलन के लिये सेंसर के वितरण को लेकर वित्त पोषण का भी सुझाव दिया।
भारतीय किसान समाज ने मानव संसाधन में निवेश पर भी प्राथमिकता देने का सुझाव दिया। संगठन ने कहा कि ‘‘कृषि शोध संस्थानों में करीब 50 प्रतिशत पद रिक्त हैं। अगले कुछ साल तक कृषि से जुड़े अनुसंधान एवं विकास पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 2 प्रतिशत व्यय किया जाना चाहिए।
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