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डीएपी उर्वरक पर सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ी, किसानों को पुराने दाम पर ही मिलेगा डीएपी

By भाषा | Updated: May 19, 2021 22:52 IST

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नयी दिल्ली, 19 मई किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लेते हुये केन्द्र सरकार ने बुधवार को डीएपी उर्वरक पर सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ा दी। इस वृद्धि से सरकारी खजाने पर 14,775 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इससे वैश्विक बाजार में कीमतें बढ़ने के बावजूद यह उर्वरक किसानों को पुराने दाम पर ही मिल सकेगा।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया।

प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, "सरकार किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में बढ़ोतरी के बावजूद हमने उन्हें पुराने दाम पर ही खाद मुहैया कराने का निर्णय लिया है।’’

यूरिया के बाद, डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) देश में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली रासायनिक खाद है।

पीएमओ ने कहा, ‘‘डीएपी उर्वरक की सब्सिडी 500 रुपये प्रति कट्टे से बढ़ाकर 1200 रुपये प्रति कट्टा करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया। यह सब्सिडी में 140 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। ... आज के फैसले के बाद किसानों को डीएपी का बैग 1200 रुपये के दाम पर ही मिलता रहेगा।“

अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी के दाम बढ़ने के बावजूद, इसे 1,200 रुपये प्रति कट्टे के पुराने मूल्य पर ही बेचने का निर्णय लिया गया है।

बयान में कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार ने मूल्य वृद्धि का पूरा बोझ उठाने का फैसला किया है। डीएपी पर प्रति थैला सब्सिडी राशि में एक मुश्त इतनी वृद्धि कभी नहीं की गयी।’’

सरकार हर साल रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी के लिए करीब 80,000 करोड़ रुपए खर्च करती है। डीएपी के लिए सब्सिडी बढ़ाए जाने के साथ सरकार को इस साल खरीफ के मौसम में सब्सिडी के तौर पर 14,775 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च करना होगा।

पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1,700 रुपये प्रति कट्टा थी, जिस पर केंद्र सरकार 500 रुपये की सब्सिडी दे रही थी। इसलिए कंपनियां किसानों को यह उर्वरक 1,200 रुपये प्रति कट्टा के दाम पर बेच रही थीं।

फास्फोरिक एसिड और अमोनिया के वैश्विक दाम में हाल के समय में 60 से 70 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। इस हिसाब से डीएपी का वास्तविक मूलय अब 2,400 रुपये प्रति कट्टा हो गया है। इस पर 500 रुपये की सब्सिडी के बाद उर्वरक कंपनियां इसे 1,900 रुपये पर बेचती। लेकिन सरकार ने सब्सिडी बढ़ाकर इसका दाम पिछले साल के 1,200 रुपये के स्तर पर कर दिया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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