वायदा बाजार में नरमी के असर से दिल्ली मंडी में हाजिर तेल तिलहन ठंडे पड़े

By भाषा | Updated: November 24, 2020 20:19 IST2020-11-24T20:19:35+5:302020-11-24T20:19:35+5:30

Spot oil oilseeds cool in Delhi market due to softening in futures market | वायदा बाजार में नरमी के असर से दिल्ली मंडी में हाजिर तेल तिलहन ठंडे पड़े

वायदा बाजार में नरमी के असर से दिल्ली मंडी में हाजिर तेल तिलहन ठंडे पड़े

नयी दिल्ली, 24 नवंबर वायदा कारोबार में सीपीओ, सोयाबीन डीगम जैसे आयातित तेलों के भाव लागत खर्च से काफी नीचे होने के कारण दिल्ली तेल तिलहन बाजार में मंगलवार को लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में गिरावट का रुख दिखाई दिया ।

भारत अपनी लगभग 70 प्रतिशत खाद्य तेल जरुरतों को आयात से पूरा करता है। इन आयातित तेलों में सबसे बड़ा भाग पाम तेल (सीपीओ) का है जिसका इस साल लगभग 80 लाख टन का आयात होने की संभावना है। देश लगभग 50 लाख टन सोयाबीन डीगम, सूरजमुखी और अन्य साफ्ट आयल का आयात करता है। इन दोनों तेलों की कीमत घरेलू तेल तिलहन के मुकाबले काफी सस्ता बैठती हैं। इसमें सॉफ्ट आयल, सोयाबीन डीगम तेल को, सस्ता होने की वजह से सरसों सहित कई अन्य तेलों में सम्मिश्रण (ब्लेंडिंग) के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इन दो तेलों में होने वाली घट बढ़ का असर ज्यादातर तेल कीमतों पर दीखता है।

बाजार के जानकार सूत्रों ने बताया कि वर्तमान आयात शुल्क मूल्य के हिसाब से सोयाबीन डीगम का आयात खर्च लगभग 108 रुपये किलो बैठता है जबकि वायदा कारोबार में सोयाबीन डीगम से तैयार होने वाले सोयाबीन रिफाइंड का भाव 105 रुपये और सोयाबीन डीगम का हाजिर भाव 102.70 रुपये किलो का है।

सूत्रों का मानना है कि बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अन्य बड़ी कंपनियों के साथ विश्व स्तर पर (मलेशिया, शिकागो, चीन इत्यादि स्थानों पर) सिंडिकेट बनाकर वायदा भाव को जानबूझकर नीचे ऊपर चलवाते हैं ताकि स्थानीय उपभोक्ताओं और आयातकों को नुकसान हो। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात को संज्ञान में लेकर ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाना चाहिये ताकि स्थानीय किसान, उपभोक्ता और आयातक परेशान होते हैं।

गुजरात में मूंगफली तेल की मांग है लेकिन किसान सस्ते में बेचने को तैयार नहीं है और सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले मूंगफली तेल महंगा है जिसके कारण मूंगफली तेल तिलहन कीमतें पूर्वस्तर पर टिकी रहीं।

उन्होंने कहा कि सामान्य कारोबार के बीच सरसों तेल तिलहन के भाव मामूली गिरावट दर्शाते बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार में सोयाबीन डीगम का भाव आयात खर्च के मुकाबले लगभग सात प्रतिशत कम होने से सोयाबीन तेल तिलहनों की कीमतें हानि दर्शाती बंद हुई। जबकि वायदा कारोबार में सीपीओ का भाव आयात खर्च के मुकाबले लगभग चार प्रतिशत कम होने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट आई।

तेल-तिलहन बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 6,170 - 6,220 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 5,440- 5,490 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,750 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,120 - 2,180 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,840 - 1,990 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,960 - 2,070 रुपये प्रति टिन।

तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,450 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,200 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम- 10,270 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,030 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,100 रुपये।

पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 10,600 रुपये।

पामोलीन कांडला- 9,800 रुपये (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी भाव 4,450 - 4,500 लूज में 4,285 -- 4,315 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपये।

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