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भारत बंद समर्थन के बावजूद खुली रहीं दुकानें, मकसद ठीक पर बंद का नुकसान नहीं उठा सकते

By भाषा | Updated: February 26, 2021 18:54 IST

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नयी दिल्ली, 26 फरवरी व्यापारिक संघों के आह्वान पर शुक्रवार को आहूत भारत व्यापार बंद के दौरान राजधानी में ज्यादातर बाजार खुले रहे। व्यापारियों का कहना था कि वह भारत बंद के मकसद का समर्थन करते हैं लेकिन वह कारोबार बंद रखकर नुकसान नहीं उठाना चाहते हैं।

देश के व्यापारियों के अखिल भारतीय संगठन ‘दि कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शुक्रवार को देशभर में व्यापार बंद का आह्वान किया था। संगठन का कहना था कि 26 फरवरी को पूरे देश में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। कैट ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत प्रावधानों की समीक्षा किये जाने की मांग की है।

कैट ने कहा था कि जीएसटी के कठोर प्रावधानों को स्थगित करने के लिये वह देशभर में 1,500 स्थानों पर धरना आयोजित करेगा। केन्द्र, राज्य सरकारों और जीएसटी परिषद के समक्ष इन प्रावधानों को रोकने के लिये आवाज उठाने के वास्ते यह आयोजन किया जायेगा।

चैबर आफ ट्रेड एण्ड इंडस्ट्री (सीटीआई) के अध्यक्ष ब्रिजेश गोयल ने कहा कि दिल्ली में ज्यादातर बाजार खुले हैं लेकिन एसोसियेशन ने बंद को अपना समर्थन दिया है। चावड़ा बाजार और करोल बाग के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर 98 प्रतिशत बाजार, होटल, रेस्त्रां और औद्योगिक क्षेत्रों में काम खुला रहा है। हालांकि, इन सभी ने बंद को अपना समर्थन दिया है। ‘‘हमने 12.30 बजे के करीब कश्मीरी गेट में विरोध प्रदर्शन भी किया।’’

अनेक व्यापारिक संघों का कहना था कि वह बंद के मकसद का समर्थन करते हैं लेकिन विभिन्न कारणों की वजह से उन्होंने अपने प्रतिष्ठान बंद नहीं किये हैं। कनाट प्लेस बाजार पर बंद को लागू नहीं किया गया।

नई दिल्ली ट्रेडर्स एसोसियेसन के अध्यक्ष अतुल भार्गव ने कहा, ‘‘हम पूरी तरह से इसके समर्थन में हैं, बहरहाल, हमारे लिये इस बार बाजार में बंद के लिये जोर देना व्यवहारिक नहीं रहा। लॉकडाउन की वजह से व्यापारी पहले ही नुकसान में चल रहे हैं, उन पर किराये का काफी बोझ है। हम बंद की वजह का पूरी तरह से समर्थन करते हैं और मानते हैं कि जो मांग रखी गई है वह सही है।’’

खान मार्किट एसोसियेसन के अध्यक्ष संजीव मेहरा ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये। कहा कि मुद्दा सही है लेकिन कारोबरी पहले ही काफी नुकसान में हैं और हम एक दिन और इस नुकसान को नहीं बढ़ाना चाहते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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