'कर्मचारियों पर मनमाना रवैया, बेइज्जती और गाली गलौज..', SEBI चीफ माधबी पुरी बुच पर लगे गंभीर आरोप
By आकाश चौरसिया | Updated: September 4, 2024 11:14 IST2024-09-04T09:58:55+5:302024-09-04T11:14:32+5:30
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के स्टाफ ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखते हुए कहा कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत की है। उन्होंने बताया कि दफ्तर में अनप्रोफेशन भाषा का इस्तेमाल किया जाता है और अकाल्पनिक टारगेट को सेट किया जाता है।

फोटो क्रेडिट- (एक्स)
नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अधिकारियों और स्टाफ ने वित्त मंत्रालय से दफ्तर के खराब वर्क कल्चर को लेकर शिकायत की है। इसमें ये भी बताया कि किस तरह से सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच अपने जूनियरों के साथ बर्ताव करती हैं। लिखे पत्र में कहा, वो आम बोलचाल के इतर कर्मियों से असामान्य भाषा का इस्तेमाल करती हैं, अकाल्पनिक रूप से टारगेट सेट करती हैं जिन्हें पूरा किया नहीं जा सकता। मैनेजमेंट के काम में खामियां हैं। इकोनॉमिक टाइम्स ने सेबी (SEBI) अधिकारियों द्वारा 6 अगस्त को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए बताया कि वित्त मंत्रालय को अभूतपूर्व शिकायत पिछले महीने की गई थी।
उनपर स्टाफ द्वारा लगाए आरोप ऐसे समय में लगे हैं, जब अडानी के साथ षड्यंत्र रचते हुए उन्हें मार्केट से फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है। अधिकारियों के द्वारा लिखे पत्र में चिल्लाने, डांटने और सार्वजनिक रूप से बेइज्जती करने का आरोप लगाया है, जो अक्सर उनके द्वारा बैठकों में किया जाता रहा है। इस पत्र के विषय को 'सेबी अधिकारियों की शिकायतें-सम्मान का आह्वान' के नाम पर वित्त मंत्रालय को लिखा जाता है।
अन्प्रोफेशनल भाषा का इस्तेमाल और चिल्ला के बात सेबी का मैनेजमेंट अपनी टीम मेंबर से करता है, इसके साथ एक-एक मिनट की मूवमेंट को देखा जाता है। अकाल्पनिक टारगेट को सेट करके उस तक पहुंचने के लिए जबरन दबाव बनाया जाता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और दिन की कार्य शैली को बैलेंस करना मुश्किल हो जाता है, इस तरह के आरोप स्टाफ ने वित्त मंत्रालय को लिखी चिट्ठी में स्टाफ ने किया और कहा कि अभी तक हमारी सुनवाई मैनेजमेंट की ओर से नहीं की गई।
वित्त मंत्रालय को भेजे पत्र में स्टाफ ने सामूहिक तौर पर लिखा कि हम कोई रोबोट तो है नहीं, जो पलक झपकते ही आपको उचित आउटपुट दे दें। पांच पेज के पत्र में प्रबंधन ने सिस्टम में बदलाव किया है और प्रतिगामी नीतियां लागू की हैं और "उनकी शिकायत का मूल" नेतृत्व "नाम पुकारना" और उन पर "चिल्लाना" है। अधिकारियों ने कहा, "उच्चतम स्तर पर लोग अनप्रोफेशनल भाषा का लापरवाही से इस्तेमाल करते हैं।"
पत्र में कहा गया है, "कर्मचारियों के बीच अविश्वास बढ़ रहा है और पिछले 2-3 वर्षों में सेबी में डर प्राथमिक प्रेरक शक्ति बन गया है।" सेबी ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'काम के माहौल के संबंध में समीक्षा बैठकों का प्रारूप बदल दिया गया है। इसलिए बैठकों के संबंध में मुद्दों का समाधान हो गया है।'
2017 से 2014 के बीच ICICI से लिए इतने करोड़ रुपए
पवन खेड़ा ने कहा, माधबी पुरी बुच सेबी की फुल टाइम मेंबर थी और उसके बाद वो चेयरपर्सन बनी। सेबी की चेयरपर्सन को पीएम और गृह मंत्री अपॉइंट करते हैं। उन्होंने कहा, अब तक हिंडेनबर्ग रिपोर्ट की और सेबी प्रमुख की भूमिका पर कई बार चर्चा की है, अडानी की कहानी पर चर्चा की गई है। वह (सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच) 2017 से 2014 के बीच आईसीआईसीआई बैंक से 16 करोड़ 80 लाख रुपये की नियमित आय ले रही थीं। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य भी हैं, फिर ICICI से वेतन क्यों ले रहे थी?