ग्रामीण और जलवायु परिवर्तनः वनीकरण से मिलेगी गरीबी मिटाने में मदद, आखिर जानिए कैसे?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 7, 2024 06:12 IST2024-12-07T06:10:31+5:302024-12-07T06:12:21+5:30
अफ्रीका में, इस अध्ययन में पाया गया कि जिन इलाकों में पेड़ों के बगीचे लगाए गए, वहां लोगों की संपत्ति, आवास और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार हुआ.

सांकेतिक फोटो
हाल ही में वैज्ञानिक पत्रिका नेचर्स कम्युनिकेशनंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि अफ्रीका के 18 देशों में वनीकरण और जंगलों के पुनरुत्थान ने लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई है. भारत, जहां ग्रामीण गरीबी और जलवायु परिवर्तन के खतरे दोनों मौजूद हैं, इस दृष्टिकोण को अपनाकर कई समस्याओं का समाधान कर सकता है. अफ्रीका में, इस अध्ययन में पाया गया कि जिन इलाकों में पेड़ों के बगीचे लगाए गए, वहां लोगों की संपत्ति, आवास और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार हुआ.
जैसे कि कोट द’आईवोर में, जहां वनीकरण ने गरीबी के सूचकांक में 30 प्रतिशत तक कमी की. भारत में भी इसी तरह की कहानी रचने की पूरी संभावना है. जरा सोचिए, बुंदेलखंड की बंजर जमीन पर सागौन, यूकेलिप्टस और फलदार पेड़ों के बगीचे खड़े हों, जो किसानों को रोजगार और आय का साधन दें!
इन बगीचों को कृषि-वानिकी (एग्रो फॉरेस्टरी) प्रणाली के साथ जोड़ा जा सकता है, जहां किसान फसल के साथ-साथ पेड़ भी उगाएं, जिससे खाद्य सुरक्षा भी बनी रहे और आय के साधन भी बढ़ें. भारत दुनिया के सबसे बड़े जलवायु संकटों का सामना कर रहा है. लू, अनियमित बारिश और चक्रवात हर साल करोड़ों लोगों को प्रभावित करते हैं.
ऐसे में पेड़ों का वनीकरण दोहरा लाभ देता है: यह न सिर्फ कार्बन को सोखकर जलवायु परिवर्तन को कम करता है, बल्कि जलवायु-लचीले परिदृश्य भी बनाता है. उदाहरण के लिए, बांस के बगीचे प्रति हेक्टेयर 400 टन तक कार्बन सोख सकते हैं और साथ ही निर्माण और हस्तशिल्प के लिए कच्चा माल प्रदान करते हैं.
वहीं, तटीय इलाकों में लगाए गए मैंग्रोव पेड़ चक्रवातों से सुरक्षा देने के साथ-साथ जैव विविधता को भी बढ़ावा देते हैं. पेड़ों का यह हरित कवच भारत को जलवायु आपदाओं से लड़ने में मदद कर सकता है. इस दृष्टि को साकार करने में कुछ चुनौतियां भी हैं. मसलन, एक ही प्रकार के पेड़ (मोनोकल्चर) लगाने से जैव विविधता को नुकसान हो सकता है.
गलत तरीके से किए गए प्रोजेक्ट स्थानीय समुदायों को विस्थापित कर सकते हैं. लेकिन भारत के पास इन समस्याओं का हल है. हम मिश्रित प्रजातियों के बगीचों और अनुपजाऊ या बंजर जमीन को वनीकरण के लिए प्राथमिकता देकर इन चिंताओं को दूर कर सकते हैं.
भारत के पास सीएएमपीए और ग्रीन इंडिया मिशन जैसे कार्यक्रम हैं, जो वनीकरण के विस्तार के लिए नीति और धन प्रदान करते हैं. स्थानीय समुदायों को इन योजनाओं में शामिल कर, हम सुनिश्चित कर सकते हैं कि वनीकरण का लाभ सब लोगों तक पहुंचे.